- ऑक्सीजन के निर्यात पर सरकार के सूत्रों ने दिया स्पष्टीकरण
- मेडिकल ऑक्सीजन के निर्यात की बात पूरी तरह से गलत-सूत्र
- ऑक्सीजन की कमी को लेकर सरकार पर हमलावर हुई कांग्रेस
नई दिल्ली : अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत के बीच सरकार के सूत्रों का कहना है कि एक दुर्भावनापूर्ण प्रोपगैंडा चलाया जा रहा है कि साल 2020-21 के दौरान इसका निर्यात किया गया। मेडिकल ऑक्सीजन के निर्यात की बात पूरी तरह गलत है। सूत्रों का कहना है कि औद्योगिक ऑक्सीजन के निर्यात को गलत से मेडिकल ऑक्सीजन समझा जा रहा है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि लिक्विड ऑक्सीजन जिसका निर्यात होता है उसकी दो श्रेणियां-मेडिकल एवं अन्य (औद्योगिक) हैं।
खपत कम होने पर औद्योगिक ऑक्सीजन का हुआ निर्यात
सूत्रों के मुताबिक अप्रैल 2020 से फरवरी 21 के दौरान भारत ने 9884 मीट्रिक टन औद्योगिक और केवल 12 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का निर्यात किया। ऑक्सीजन निर्यात की यह रिपोर्ट भारत के वार्षिक ऑक्सीजन उत्पादन की कुल क्षमता के 0.4 प्रतिशत से भी कम है। औद्योगिक ऑक्सीजन का ज्यादातर निर्यात दिसंबर और जनवरी महीने के बीच हुआ। इस दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 2775 मीट्रिक टन प्रतिदिन से घटकर 1418 मीट्रिक टन प्रतिदिन पर आ गई थी।
रिपोर्टों में ऑक्सीजन निर्यात करने का दावा
सरकार के सूत्रों का यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब कई रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि महामारी से जूझने वाले साल में भारत ने विदेशों में मेडिकल ऑक्सीजन का निर्यात किया। रिपोर्टों में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के तीन तिमाही के दौरान करीब 9,294 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया। दरअसल, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और रणदीप सुरजेवाला ने देश में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेताओं ने अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
प्रियंका गांधी ने सरकार पर बोला हमला
समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि भारत प्रतिदिन 7,500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन करता है। कोरोना की पिछली लहर जब अपने शिखर पर थी तो देश भर के अस्पतालों में इसकी खपत प्रतिदिन पैदा होने वाले ऑक्सीजन की मात्रा से आधे से भी कम थी। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा, 'हम पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं लेकिन देश भर में इसकी आपूर्ति करने के लिए सरकार ने पर्याप्त बंदोबस्त नहीं किए। सरकार के पास पहली और दूसरी लहर के बीच यह सब कुछ करने का समय था लेकिन उसने कुछ नहीं किया।'