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'दीदी' की अब असली परीक्षा, ममता-BJP के लिए काफी अहम हैं बाकी बचे 5 चरण  

Updated Apr 07, 2021 | 14:36 IST

West Bengal Chunav 2021 : बंगाल में अभी जिन तीन चरणों में वोटिंग हुई है। उनमें से पहले दो हिंदू बहुल इलाके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जंगल महल इलाके की छह सीटों में से पांच पर जीत दर्ज की।

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ममता बनर्जी के लिए काफी अहम हैं बाकी बचे 5 चरण।
मुख्य बातें
  • बंगाल में अभी जिन तीन चरणों में वोटिंग हुई है उसमें पहले दो चरण हिंदू बहुल हैं
  • अब तक तीन चरणों की वोटिंग हो चुकी है, बाकी 5 चरणों में बढ़त बनाने की होड़
  • ममता बनर्जी को इस बार अपने मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी का डर सता रहा है

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल चुनाव में तीन चरणों की वोटिंग हो चुकी है। अभी राज्य में पांच चरणों के लिए वोट डाले जाने हैं। विधानसभा की 294 सीटों में से 91 सीटों पर मतदान हो चुका है। आने वाले पांच चरणों में अभी 203 सीटों पर मतदान होगा। पहले दो चरणों में जंगल महल और उत्तर बंगाल के जिन 60 सीटों पर मतदान हुआ उसे लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बेहद उत्साहित है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दावा है कि इन 60 में से 50 से ज्यादा सीटों पर भगवा पार्टी जीतने में सफल होगी। तीसरे चरण में मतदान के बाद भाजपा चुनावी महल अपने पक्ष में बता रही है। पीएम मोदी ने मंगलवार की अपनी कूच बिहार रैली में कहा कि ममता बनर्जी चुनाव हार रही हैं।  

पहले दो चरण हिंदू बहुल इलाके
पश्चिम बंगाल में अभी जिन तीन चरणों में वोटिंग हुई है। उनमें से पहले दो हिंदू बहुल इलाके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जंगल महल इलाके की छह सीटों में से पांच पर जीत दर्ज की। जाहिर है कि उसकी इस पकड़ का विधानसभा चुनाव में भी फायदा मिल सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि भाजपा और टीएमसी की असली परीक्षा बाकी बचे इन पांच चरणों में होगी। इन पांच चरणों में जो भारी पड़ेगा राज्य में उसी की सरकार बनेगी। 

अब शुरू होगी ममता की 'परीक्षा'
दरअसल, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की असली परीक्षा अब शुरू होगी। क्योंकि भाजपा दक्षिण बंगाल की सीटों पर कब्जा जमाने के लिए अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगाएगी जबकि टीएमसी इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखना चाहेगी। दक्षिण बंगाल की ज्यादातर सीटें मुस्लिम बहुल हैं। पिछले चुनाव में यह वोट बैंक ममता बनर्जी के साथ रहा है लेकिन इस बार चुनाव में फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दिकी एवं असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री से ममता को अपने इस वोट बैंक में सेंध लगने का डर सता रहा है।  

मुस्लिम वोटों में बिखराव का फायदा भाजपा को मिलेगा
सिद्दीकी अपनी रैलियों में मुस्लिमों और पिछड़ी जातियों को अपनी तरफ आकर्षित करने में जुटे हैं। टीएमसी से मुस्लिम वोट न छिटके इसके लिए ममता ने मुस्लिमों से एकजुट होकर उनके पक्ष में मतदान करने की अपील की है। वह जानती हैं कि मुस्लिम वोटों के विभाजित होने पर इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा। अगर ऐसा हुआ तो सत्ता पर काबिज होने की उनकी राह मुश्किल हो जाएगी। बंगाल में मुस्लिमों की आबादी करीब 30 प्रतिशत है। छह अप्रैल को कैनिंग इस्ट एवं वेस्ट, मगराहाट इस्ट एवं वेस्ट, डायमंड हॉर्बर, मंदिरबाजार, कुलटाली, कुलपी, उलुबेरिया नार्थ एवं साउथ, श्यामपुर, बागनान एवं आरामबाग की सीटों पर मतदान हुआ। ये सीटें मुस्लिम बहुल हैं। 

मुस्लिम बहुल इलाकों में भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही भगवा पार्टी
राज्य के इस मुस्लिम वोट बैंक पर भाजपा की भी नजर है। भगवा पार्टी इस वोट बैंक को लुभाने की कोशिश में है। अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर उसने अपने हिंदुत्व के तेवर में नरमी लाई है। इन इलाकों में वह भ्रष्टाचार एवं विकास को मुद्दा बनाकर मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में करने की फिराक में है। बंगाल में 125 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता चुनाव नतीजे को जीत और हार में बदल सकने की क्षमता रखते हैं। इन चरणों मुस्लिम वोटर अगर एकजुट होकर टीएमसी के पक्ष में मतदान करते हैं तो ममता तीसरी बार सत्ता में वापसी करने में सफल हो जाएंगी।   

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