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माणिक साहा बने त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री, अगरतला में राजभवन में ली पद की शपथ

Updated May 15, 2022 | 12:50 IST

Manik Saha: माणिक साहा त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्होंने अगरतला में राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह बिप्लब कुमार देब की जगह लेंगे जिन्होंने शनिवार को पद से इस्तीफा दे दिया था।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
माणिक साहा
मुख्य बातें
  • डेंटल सर्जन से राजनेता बने माणिक साहा त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं
  • साहा 2020 में त्रिपुरा भाजपा प्रदेश समिति के अध्यक्ष बने
  • वो 2016 में कांग्रेस से बीजेपी में आए थे

Manik Saha: बीजेपी नेता माणिक साहा ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के रूप में शपद ग्रहण कर ली है। शनिवार को बिप्लब कुमार देब के इस्तीफा देने के बाद राज्य पार्टी प्रमुख माणिक साहा को राज्य का अगला मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था। साहा का शपथ ग्रहण समारोह  राजभवन, अगरतला में हुआ। माणिक साहा ने हम पीएम मोदी और बीजेपी के विकास के मुद्दे को लेकर आगे बढ़ेंगे। हम त्रिपुरा के लोगों के मुद्दों को हल करने के साथ-साथ राज्य में कानून-व्यवस्था को भी बढ़ाएंगे। हमारे लिए कोई राजनीतिक चुनौती नहीं है।

डॉ. साहा राज्यसभा सांसद और राज्य में पार्टी के प्रमुख हैं। दंत शल्य चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. साहा से पूर्वोत्तर राज्य में बहुकोणीय मुकाबले के बीच विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीत की ओर ले जाने की उम्मीद की जाएगी। त्रिपुरा में अगले साल मार्च में चुनाव होने हैं। यहां तृणमूल कांग्रेस भी एक प्रमुख दल के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है। 

साहा 2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्हें 2020 में पार्टी प्रमुख बनाया गया और इस साल मार्च में राज्यसभा के लिए चुने गए।

दो बेटियों के पिता साहा को अगले छह महीने के भीतर विधानसभा के लिए चुना जाना है। साहा अगरतला स्थित त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और बी.आर. अंबेडकर मेमोरियल टीचिंग हॉस्पिटल से जुड़े रहे हैं, साथ ही त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे।

त्रिपुरा मई 2019 से ही देब के खिलाफ असंतुष्ट भाजपा विधायकों और नेताओं के विद्रोह की लहरें देख रहा है। देब ने बाद में एक सार्वजनिक बैठक बुलाकर सार्वजनिक जनादेश प्राप्त करने की घोषणा की, हालांकि बाद में केंद्रीय नेताओं के हस्तक्षेप के बाद इस कदम को रद्द कर दिया गया था। देब 9 मार्च, 2018 को विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चे को हराकर भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री बने और उन्होंने वाम मोर्चा के 25 साल के शासन को समाप्त कर दिया। 

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