चेन्नई : देश हमेशा उन जवानों का कर्जदार रहेगा, जो अपने वतन के लिए प्राण न्यौछावर कर देने से भी पीछे नहीं हटते। उनके साथ ही उन वीरांगनाओं को भी सलाम है, जो असीम दुःख के बाद भी खुद को टूटने नहीं देतीं और जीवन के सभी दर्द व तकलीफों को भुला कर साहस के साथ आगे बढ़ती हैं। ज्योति नैनवाल ऐसी ही वीरांगना हैं, जिन्होंने पति की शहादत के बाद दर्द व तकलीफ को पीछे छोड़ते हुए हिम्मत की नई इबारत लिखी। वह उन्हीं रास्तों पर चल पड़ी हैं, जिनसे गुजरकर उनके पति ने अपने वतन के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
ज्योति नैनवाल शनिवार को चेन्नई में आयोजित पासिंग आउट परेड में मौजूद 28 महिला कैडेट्स में शामिल रहीं। इस मौके पर उनके बच्चे भी वर्दी में नजर आए। 33 साल की ज्योति नैनवाल इस दौरान अपने दोनों बच्चों 9 साल की बेटी लावन्या और 7 साल के बेटे रेयांश को मजबूती से अपने कंधों पर थामे नजर आईं।
हौसले को सलाम!
दीपक नैनवाल जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से लड़ते हुए अप्रैल 2018 में घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। मई 2018 में उनका निधन हो गया था। यह हालात किसी भी सामान्य इंसान को तोड़ देने वाला होता है, लेकिन ज्योति ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने हौसलों को नई उड़ान दी और देश सेवा का संकल्प लिया।
पति की शहादत के कुछ ही समय बाद उन्होंने सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (SSB) टेस्ट की तैयारी शुरू कर दी थी। टेस्ट पास करने के बाद चेन्नई एकेडमी में उनका 11 महीने तक प्रशिक्षण चला। वह लेफ्टिनेंट के तौर पर सेना में शामिल हुई हैं, जिसके लिए उन्होंने अपने पति के मैहर रेजीमेंट को धन्यवाद दिया और कहा कि वे हर कदम पर उनके साथ रहे।
मां के सेना में अफसर बनने पर बच्चों को गर्व है। वे भी आगे चलकर सेना में भर्ती होकर देशसेवा करना चाहते हैं। ज्योति नैनवाल जहां अपने परिवार से सेना में भर्ती होने वाली पहली सदस्य हैं, वहीं उनके पति दीपक नैनवाल के पिता चक्रधर नैनवाल भी सेना में सेवा दे चुके हैं। उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध सहित कई ऑपरेशंस में हिस्सा लिया था।