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जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, विधानसभा सीट बढ़ाने के फैसले को बताया असंवैधानिक

गौरव श्रीवास्तव | कॉरेस्पोंडेंट
Updated Mar 29, 2022 | 19:01 IST

jammu kashmir delimitation:याचिका में सवाल उठाया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 170 में किये गए प्रावधान के हिसाब से देश में अगला परिसीमन 2026  में होना है, ऐसे में अभी अलग से सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही परिसीमन क्यों किया का रहा है? 

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जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में होने जा रहा है परिसीमन का मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच गया है. कोर्ट में याचिका दायर करके परिसीमन प्रक्रिया का विरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने ये भी दलील दी है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में सीटें 83 से बढ़ाकर 90 (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की 24 सीटों सहित 107 से बढ़ाकर 114) करने का केंद्र सरकार का फैसला 'जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून और संविधान के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330, 332 के विरुद्ध है।

याचिका में जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन को असंवैधानिक बताया गया है।याचिकाकर्ता हाजी अब्दुल गनी खान और डॉक्टर मोहम्मद अयूब मट्टू दोनों हैं जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं, उन्होंने दलील दी है कि परिसीमन आयोग का गठन कानून की सीमा के परे है. याचिका में परिसीमन की परिभाषा देते हुए कहा गया है इसके अंतर्गत कोई भी राज्य जहां विधायिका है उसकी सीमाएं तय करना है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीओके की भी हैं 24 सीटें

दरअसल जम्मू कश्मीर राज्य के 1956 में आये संविधान के मुताबिक वहां पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किये इलाके के लोगों के लिए अलग से 24 सीटों का प्रावधान किया गया था। हालांकि राज्य भंग करने के बाद जब इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया उस वक़्त भी 24 सीटों को खत्म नहीं किया गया, हालांकि इन सीटों पर कोई चुनाव नहीं होता और ये सीटें खाली पड़ी हैं।

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