- मौलान साद के खिलाफ क्राइम ब्रांच के साथ प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से की जा रही हैं जांच
- साद के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के साथ साथ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज
- मौलाना साद पर आरोप है कि उसने जमातियों के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी नहीं दी।
नई दिल्ली। देश के अलग अलग हिस्सों से कोरोना के अब तक 13, 835 मामले सामने आए हैं, और अब तक 452 लोगों की जान जा चुकी है। अगर अलग अलग राज्यों की बात करें तो वहां पर कोरोना मरीजों की संख्या में 40 से पचास फीसद तक हिस्सेदारी तब्लीगी जमात के लोग जिम्मेदार हैं। इस सिलसिले में तब्लीगी जमात के मुखिया मौलान साद के खिलाफ एपिडेमिक एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से भी मनी लॉन्ड्रिंग केस में एफआईआर दर्ज की गई है।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच से साद के सवाल
दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच को लिखे खत में मौलाना साद कहते हैं कि वो तो जांच प्रक्रिया का हिस्सा पहले से बन चुके हैं। उन्होंने एक अप्रैल और दो अप्रैल को जारी नोटिस का जवाब दे दिया है। इसके साथ उन्होंने क्राइम ब्रांच से एफआईआर की कॉपी मांगी है और पूछा है कि क्या एफआईआर नंबर 63/ 2020 में क्या कोई दूसरी धारा जोड़ी गई है। वो बार बार इस बात पर बल दे रहे हैं कि वो जांच प्रक्रिया से भाग नहीं रहे हैं, बल्कि हर क्षण वो सहयोग के लिए तैयार हैं।
आफत वाले मौलाना की करतूत
मौलाना साद के खिलाफ जब मुकदमा दर्ज किया गया तो उनकी तरफ से जवाब आया कि वो खुद कोरोना संक्रमित की शंका से खुद को क्वारंटीन किए हुए हैं। जब उनसे पूछा गया कि आखिर वो जांच प्रक्रिया का हिस्सा क्यों नहीं बन रहे हैं तो जवाब सीधे सीधे नहीं आया। तब्लीगी जमात पर आरोप है कि उसने स्थानीय पुलिस के निर्देशों की अवहलेवा की। वो जानते थे कि मरकज में शामिल जमाती कोरोना से संक्रमित है बावजूद उसके जमात से जुड़े लोगों को देश के अलग अलग हिस्सों में जाने की सलाह दी और हजारों की संख्या में जमातियों को बंधक बना कर रखे थे।