नई दिल्ली: भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को लेकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की नीयत शुरु से ही खराब रही है और वो इसके लिए सालों से कश्मीर में नापाक हरकतें करता आ रहा है ये दीगर बात है कि भारत के आगे उसकी कोई चाल परवान नहीं चढ़ पाती है वहीं पाकिस्तान कश्मीर को लेकर अमेरिका की मध्यस्थता का इच्छुक नजर आता है।
अभी कश्मीर का मामला अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की हाल में हुई मुलाकात के दौरान एक बार फिर उठा था और ऐसे संकेत सामने आए थे कि अमेरिका इस मुद्दे पर जरुरत पड़ने पर मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है।
ऐसी किसी भी संभावना को लेकर भारत का रुख शुरु से बहुत साफ है एक बार फिर इस मुद्दे के उठने पर भारत सरकार ने दो टूक जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'कश्मीर मुद्दे व उसकी मध्यस्थता को लेकर हमारा स्टैंड पूरी तरह से स्पष्ट है और मैं साफ कर दूं कि इस मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की कोई जरुरत नहीं है।
वहीं 16 फरवरी को पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में शामिल होने की समीक्षा को लेकर होने वाली FATF की अहम बैठक पर एमईए ने कहा कि हम जानते हैं कि प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप मीटिंग (FATF) पेरिस में 16 फरवरी से शुरू होगी। हम मानते हैं कि एफएटीएफ एक निर्धारित मानदंडों के आधार पर पाकिस्तान द्वारा की गई प्रगति का मूल्यांकन करेगा।
गौरतलब है कि पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) से राहत नहीं मिली थी और एफएटीएफ ने उसे फरवरी 2020 तक ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला लिया था। उन्होंने पाकिस्तान को निर्देश दिया था है कि वह आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग को खत्म करने के लिए ज्यादा कदम उठाए।
एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था।
इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लांड्रिंग, सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसी गतिविधियों पर नजर रखना है।