लाइव टीवी

निर्मल जीत सिंह सेखों हैं वायु सेना के इकलौते परमवीर चक्र विजेता, जानें पाकिस्तान से कैसे बचाया था श्रीनगर

Updated Oct 08, 2021 | 12:08 IST

Indian Air Force Day 2021: यह साल 1971 के भारत और पाकिस्तान युद्ध का 50 वां साल है। भारतीय सेना इसे 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के रुप में मना रही है।

Loading ...
निर्मलजीत सिंह सेखों को मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया- फोटो-एफओडब्ल्यूओ
मुख्य बातें
  • निर्मलजीत सिंह सेखों ने अकेले पाकिस्तान के 2 सेबर विमानों को मार गिराया, जबकि 4 को खदेड़कर, श्रीनगर एयर बेस को बचाया था।
  • सेखों के अदम्य साहस के लिए उन्हें साल 1972 में मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया।
  • सेखों का जन्म लुधियाना में हुआ था और 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग शुरू होने से कुछ समय पहले ही उनकी शादी हुई थी।

नई दिल्ली। साल 2021 वायु सेना के लिए काफी अहम है। यह साल 1971 के भारत और पाकिस्तान युद्ध का 50 वां साल है। और भारतीय सेना इसे 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के रुप में मना रही है। आज हम 8 अक्टूबर को वायु सेना दिवस के मौके पर फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों के शौर्य की कहानी बता रहे हैं। सेखों ने 14 दिसंबर को श्रीनगर में जो अदम्य साहस दिखाया, उसकी वजह से उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया है। सेखों  की बहादुरी और देशभक्ति का ही कमाल था कि उस दिन पाकिस्तान के मंसूबे नाकाम हो गए और भारत श्रीनगर को बचा सका। उनकी वीरता का आलम यह था कि बाद में पाकिस्तान की एयरफोर्स ने भी सेखों के शौर्य को सलाम किया। सेखों भारतीय वायुसेना के इकलौते ऑफिसर हैं, जिन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया है। 

14 दिसंबर को कर दिया कमाल

निर्मल जीत सिंह सेखों को परमवीर चक्र प्रदान करते समय जो उद्दहरण दिया गया, उसे पता चलता है कि उन्होंने पाकिस्तानी वायु सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। उसके अनुसार 14 दिसंबर को श्रीनगर एयरफील्ड पर दुश्मन के 6 सेबर वायुयानों ने हमला कर दिया था। और एयरफील्ड पर बमबारी और  गोलीबारी  शुरू कर दी। उस वक्त श्रीनगर एयरफील्ड पर  18 स्‍क्‍वाड्रन  के फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की ड्यूटी थी । 14 दिसंबर को पेशावर से उड़ान भरने वाले पाकिस्तानी विमानों में से एक को विंग कमांडर सलीम बेग मिर्जा उड़ा रहे थे।

दुश्मन के हमले को नाकाम करने  के लिए, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्‍मन ने 18 नेट स्‍क्‍वाड्रन फाइटर प्‍लेन के साथ पहली उड़ान भरी। घुम्मन सेखों के साथी और सीनियर पायलट थे। हर तरफ से बम गिर रहे थे, खतरा काफी था। घुम्मन भी हमले को नाकाम करने की कोशिश में थे। इस बीच सेखों पाकिस्तान के 6 सैबर विमानों का अकेले सामना कर रहे थे। उन्‍होंने दुश्‍मन के एक एयरक्राफ्ट को निशाना बनाया और दूसरे को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद  चारों सैबर विमानों ने सेखों के विमान को घेर लिया। लेकिन सेखों अकेले ही चारों पायलटों को छकाते रहे।

पेड़ जितनी ऊंची पर लड़ी  गई लड़ाई

सेखों ने इस बेमेल लड़ाई में दुश्मन के चारों विमानों को उलझाए रखा। इस बीच सेखों का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। एयर ट्रैफिक कंट्रोल से उन्‍हें बेस पर लौटने की बार-बार सलाह दी गई। मगर सेखों ने दुश्‍मन को खदेड़ना जारी रखा। और पाकिस्‍तानी विमान सेखों की बहादुरी के आगे पस्त होकर वापस चले गए। सेखों ने आखिरी वक्‍त में एयरक्राफ्ट से निकलने की कोशिश की जो सफल नहीं हुआ। विमान का मलबा एक खाई में मिला और सेखों शहीद हो गए। उस दिन का पाकिस्तान के विंग कमांडर सलीम बेग मिर्जा सेखों की बहादुरी का सामना किया था। उन्होंने सेखों की बहादुरी को सलाम करते हुए एक लेख में उस जंग का पूरा ब्‍यौरा सामने रखा था।

लुधियाना में हुआ था जन्म

परमवीर चक्र विजेता निर्मलजीत सिंह सेखों का जन्म 17 जुलाई 1943 को लुधियाना के इसेवाल गांव में  हुआ था। सेखों जब 14 दिसंबर 1971 को शहीद हुए तो वह केवल 28 साल के थे। और उनकी कुछ ही समय पहले शादी हुई थी।भारतीय वायु सेना ने 1971 के युद्द 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सितंबर 2021 में उनके गांव के स्कूल में मूर्ति का अनावरण किया। जहां पर उन्होंने अपनी पढ़ाई की थी। भारत सरकार ने उनके नाम से डाक टिकट भी जारी किया था।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।