- वह वकील सीमा कुशवाहा ने तय करवाया निर्भया के दोषियों के लिए फांसी का फंदा
- इटावा के छोटे से कस्बे में पली-बढ़ी ऐडवोकेट सीमा कुशवाहा से आज हर कोई है परिचित
- सीमा कुशवाहा की इस केस से जुड़ी कई यादें हैं, 2014 में सीमा ने अपने हाथ में लिया था केस
नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों को आखिकार सात साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद फांसी की सजा मिल गई। इस लंबी लड़ाई के लिए लोग उनकी मां आशा देवी के संघर्ष को सलाम कर रहे हैं जिन्होंने दिन रात एक करते हुए अपनी बेटी को न्याय दिलाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। लेकिन इन सबके बीच एक महिला ऐसी भी है जिसने अदालत के सामने यह तय करवाया कि दोषियों को फांसी से कम की सजा ना मिले और वह है निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा।
परिवार से है खास रिश्ता
निर्भया का केस जब आगे नहीं बढ़ पा रहा था तो सीमा कुशवाहा ने 2014 में इसे अपने हाथों में ले लिया और तभी से वो इस मामले की पैरवी करते हुए तब तक डटी रहीं जब तक दोषियों को फांसी नहीं मिल सकी। इस दौरान निर्भया के परिवार से भी उनका खास रिश्ता बन गया। निर्भया के पिता सीमा को जीत नाम से बुलाते हैं। मीडिया से बात करते हुए सीमा बताती हैं, 'भले ही मेरा औऱ निर्भया का खून का रिश्ता नहीं है लेकिन ऐसा लगता है कि वह मेरे साथ हमेशा है। मैंने आज भी निर्भया का वह कंगन अपने हाथ में डाला हुआ है जो पांच साल पहले आंटी (निर्भया की मां) ने मुझे पहनाया था तब से उतारा नहीं है। अब अगर मैं इसे उतारना चाहती हूं तो अजीब सी बेचैनी होने लगती है।'
इटावा से ताल्लुक रखती हैं सीमा
सीमा कुशवाहा उत्तर प्रदेश के इटावा से ताल्लुक रखती हैं जिन्होंने निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए लंबी कानूनी जद्दोजहद की और अपनी धारदार दलीलों से दोषियों के वकील को हर बार पस्त किया। आर्थिक तंगी के बाद भी कानूनी पढ़ाई पूरी करने वाली सीमा 2009 में दिल्ली आकर प्रैक्टिस करने लगीं। जब निर्भया के साथ जब गैंगरेप हुआ तो देशभर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। दिल्ली के इंडिया गेट पर सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ जिसमें सीमा कुशवाहा ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया।
2012 में हुई घटना ने देश को झकझोर कर दिया था
दक्षिण दिल्ली में चलती बस में निर्भया के साथ छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे बुरी तरह पीटा, घायल कर दिया और सर्दी की रात में चलती बस से नीचे सड़क पर फेंक दिया था। 16 दिसंबर 2012 को हुई इस घटना ने पूरे देश की आत्मा को झकझोर दिया था और निर्भया के लिए न्याय की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए थे। कई दिन तक तक जिंदगी के लिए जूझने के बाद अंतत: सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया ने दम तोड़ दिया था।