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महबूबा मुफ्ती बोलीं- 35-ए की हिफाजत के लिए जान-माल कुर्बान करने को तैयार, एकजुट हो विपक्ष

Updated Jul 31, 2019 | 18:38 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 35-ए की हिफाजत के लिए जान-माल कुर्बान करने को तैयार हैं। राजनीति अलग रख अलग रख विपक्ष एकजुट हो।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
मुख्य बातें
  • महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 35-ए को लेकर फिर दिया बयान
  • मुफ्ती ने कहा कि हम जान-माल कुर्बान करने के लिए तैयार हैं
  • उन्होंने कहा कि राजनीति छोड़ विपक्ष को एकजुट होना चाहिए

नई दिल्ली: पीडीपी प्रमुख और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को विपक्षी पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से राज्य में अनुच्छेद 35-ए को खत्म करने की केंद्र की कथित योजना के खिलाफ एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, 'इस वक्त अफवाहें उड़ रही हैं कि 35-ए पर हमला हो सकता है। उसको खत्म किया जा सकता है। उसके हवाले से हम सब को इकट्ठा होना चाहिए। न सिर्फ नेता बल्कि जो रानजीतिक कार्यकर्ता हैं, चाहे नेशनल कॉन्फ्रेंस है, कांग्रेस है, बीजेपी है, पीडीपी है।

मुफ्ती ने कहा, 'हमारे कार्यकर्ताओं को सबके घर जाना चाहिए और सबको सूचना देनी चाहिए कि इस वक्त हम जो चुनाव की लड़ाई है उसको अलग रख के, मिलकर काम करेंगे। जम्मू-कश्मीर को जो 35-ए है उसकी हिफाजत के लिए हम जान और माल कुर्बान करने के लिए तैयार हो जाएंगे।' मालूम हो कि हाल ही में मुफ्ती ने 35-ए को लेकर चेतावनी देते हुए कहा था कि इस पर छेड़छाड़ करने का मतलब है बारूद पर हाथ लगाना। मुफ्ती ने कहा था, '35-ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा। जो हाथ 35 ए के साथ छेड़छाड़ करने के लिए उठेंगे वो हाथ ही नहीं बल्कि वो सारा जिस्म जलकर राख हो जाएगा।'

बीजेपी महासचिव और जम्मू कश्मीर में पार्टी मामलों के प्रभारी राम माधव ने मुफ्ती के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि वह इस भाषा का इस्तेमाल खुद को राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बनाए रखने के लिए कर रही हैं। अपनी फिसलती राजनीतिक जमीन को संभालने के लिए वह लोगों के मन में भय पैदा कर रही हैं। हमें जम्मू-कश्मीर में चल रहे कामों को आगे ले जाना होगा। विधानसभा चुनाव होने जरूरी हैं।

माधव ने कहा, 'उन्हें लोगों के बीच इस तरह के मुद्दों को लेकर जाना चाहिए। यहां तक कि उनकी पार्टी के लोग भी उनकी बैठकों में नहीं आते हैं, उनके स्थापना दिवस पर भी नहीं। इसलिए उन्होंने लोगों के बीच डर पैदा करने के लिए 'मैं बारूद उठाउंगी ... हाथ जल जाए ...' की भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

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