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- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों में लोगों की आवाजाही को लेकर जारी की गाइडलाइन
- लॉकडाउन के दौरान आवाजाही की अनुमित उन लोगों के लिए नहीं है जो अपने घरों में सामान्य जिंदगी जी रहे हैं
- यह अनुमति केवल फंसे हुए लोगों के लिए जिनमें परेशान श्रमिक शामिल हैं
नई दिल्ली: सोमवार से लॉकडाउन का तीसरा चरण लागू हो रहा है इसे लेकर लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल हैं कि आखिर किन-किन लोगों को आने-जाने की इजाजत होगी। अब केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इसे लेकर एक स्पष्ट गाइडलाइन जारी कर दी है। इस गाइडलान में यह स्पष्ट किया कि बंद के दौरान लोगों को आने जाने में जो ढील दी गई है वह केवल परेशान हो रहे प्रवासी कामगारों के लिए हैं।
गृह सचिव ने लिखा राज्यों को पत्र
दरअसल गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को कुछ शर्तों के साथ ट्रेनों और बसों के जरिए परेशान श्रमिकों के आने जाने की मंजूरी दी थी। इन शर्तों में कहा गया था कि श्रमिकों को भेजने के लिए राज्यों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। रविवार को केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित राज्यों को पत्र लिखा है।
केवल इन लोगों को होगी अनुमति
गृह सचिव द्वारा लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने ऐसे फंसे हुए लोगों के आने जाने को मंजूरी दी है जो लॉकडाउन की अवधि से ठीक पहले अपने मूल निवास अथवा कार्यस्थलों से चले गए थे और लॉकडाउन के नियमों के चलते लोगों अथवा वाहनों की आवाजाही पर लगी रोक के कारण अपने मूल निवासों अथवा कार्यस्थलों पर लौट नहीं पाए थे।
फंसे हैं लाखों कामगार
इस पत्र में साफ कहा गया है कि इस आदेश में जो सुविधा दी गई है वह परेशान लोगों के लिए है,लेकिन ऐसे श्रेणी के लोग इसके दायरे में नहीं आते जो कामकाज के लिए अपने मूल स्थान से दूर हैं, लेकिन वे जहां हैं वहां ठीक से रह रहे हैं आदि और आम दिनों की तरह अपने मूल स्थानों पर आना चाहते हैं। लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में लाखों प्रवासी कामगार फंसे हुए हैं।