- 9 मई को यूपी के औरैय्या में हुआ था सड़क हादसा
- सड़क हादसे में 29 प्रवासी श्रमिकों की हुई थी मौत
- झारखंड, बंगाल और बिहार के रहने वाले थे प्रवासी मजदूर
नई दिल्ली। कोरोना काल में हर रोज ऐसी तस्वीरों और खबरों से दो चार हो रहे हैं जो व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। जिस कर्मभूमि में उन्होंने अपना सबकुछ दिया है वो उनके लिए बेगानी हो गई और कारवां में वो अपने उस ठिकाने की ओर चल पड़े हैं जहां आंख खोली थीं। लेकिन कुछ ऐसे भी प्रवासी श्रमिक हैं जिनके लिए घर की राह एक ऐसी राह में तब्दील हो गई जहां से आना संभव नहीं है। लेकिन उसके साथ ही व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी उठ रहे हैं।
जिंदा और मुर्दा सबका सफर एक साथ
यूपी की औरैया में जब सड़क हादसा हुआ तो 24 प्रवासी मजदूरों की जान चली गई। कागजी कार्रवाई के बाद एक ही ट्रक में शवों के साथ जिंदा लोगों को भी बैठाकर औरैय्या से लखनऊ भेज दिया गया। प्रशासनिक संवेदनहीनता की जब तस्वीर वायरल हुई तो झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने इसे अमानवीय करार दिया। उन्होंने यूपी और बिहार के सीएम से अपील करते हुए कहा कि मृतकों के शरीर को ससम्मान झारखंड की सीमा तक पहुंचा दिया जाए जहां से वो अपने साधन के जरिए उनके गृह जनपद बोकारो पहुंचा देंगे।
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने जताई आपत्ति
हुआ कुछ यूं कि 9 मई दिन शनिवार को रात औरैया में नेशनल हाईवे पर झारखंड, बंगाल और बिहार के 26 श्रमिकों के जीवन का अंत हो गया। वो सड़क हादसे का शिकार हो गए थे। हादसे की जानकारी के बाद पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा और कागजी कार्रवाई के बाद जिंदा और मुर्दा सबको लखनऊ ले जाने का फैसला किया गया। उसके लिए व्यवस्था की गई। शवों को तिरपाल में लपेटा गया और जो जिंदा थे उनसे कहा गया कि वो भी उसी ट्रक में सवार हो जाएं। जब यह मामला जंगल में आग की तरह फैला तो झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन हरकत में आए और कहा कि कि जो तस्वीरें सामने आईं उसमें तो जो बच गए उनका जो अब इस दुनिया में नहीं हैं उनका भी अपमान किया गया है।