- योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट का सोमवार सुबह एम्स में हुआ निधन
- कई दिनों से बीमार चल रहे थे योगी के पिता, लीवर में थी समस्या
- बेहद साधारण जिंदगी जीता है योगी का परिवार, नहीं है किसी को गुमान
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का 89 साल की उम्र में सोमवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अंतिम सांस ली। मुख्यमंत्री योगी के पिता लंबे अरसे से बीमार चल रहे थे और उन्हें इलाज के लिए गत 13 मार्च को एम्स में भर्ती किया गया था। हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। यहां गेस्ट्रो विभाग के डॉक्टर विनीत आहूजा के निगरानी में विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम उनका इलाज कर रही थी।
योगी के पिता उत्तराखंड के वन विभाग में काम करते थे। वह साल 1991 में रेंजर के पद से रिटायर हुए। नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद वे अपने गांव पौड़ी- गढ़वाल जिले के यमकेश्वर के ग्राम पचूर में रहते थे। योगी के 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद भी आनंद सिंह की तबीयत बिगड़ी थी। उस समय भी उन्हें इलाज के लिए एम्स लाया गया था। बताया जा रहा है कि योगी के पिता के लीवर और किडनी में समस्या आ गई थी। गत रविवार देर रात उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई।
योगी आदित्यनाथ ने संन्यास ग्रहण करने के बाद अपने परिवार के लोगों से मिलते-जुलते नहीं थे। संन्यास लेने की जानकारी जब उनके पिता आनंद सिंह को हुई तो वे उन्हें मनाने के लिए गोरखपुर आए थे लेकिन योगी ने उन्हें समझाया कि वे संन्यास के रास्ते से अब वापस नहीं आ सकते। योगी ने अपने पिता की मुलाकात उस समय गोरक्षनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से कराई। अवैद्यनाथ ने योगी के पिता को समझाया फिर वे मंदिर से लौट गए। गोरक्षनाथ मंदिर का महंत बनने के बाद योगी अपने परिवार के सदस्यों से बहुत कम मिलते थे। योगी आदित्यनाथ चार भाई और तीन बहनें हैं। योगी के दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं जबकि एक भाई सेना की गढ़वाल रेजिमेंट में हैं।
राजनीति में जहां वंशवाद का बोलबाला है। वहीं, योगी का परिवार इसका अपवाद है। योगी आदित्यनाथ को छोड़कर उनके परिवार का कोई भी सदस्य सियासत में नहीं है। योगी आदित्यनाथ के परिवार के सभी लोग सामान्य जीवन-यापन करते हैं। उनकी एक बहन गांव में ही दुकान चलाती हैं। योगी के भाई एवं बहनों सभी को यह बात अच्छी तरह पता है कि उनका एक भाई देश के सबसे बड़े सूबे का मुख्यमंत्री है लेकिन उन्हें इस चीज का जरा भी गुमान नहीं है। ये कभी भी इस बात को जाहिर नहीं करते हैं।