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Risk of Omicron:एक्‍सपर्ट्स बोले- 'बूस्टर' डोज की बजाय टीके की दोनों खुराक लगाने पर हो फोकस

Updated Dec 04, 2021 | 19:27 IST

corona vaccine booster dose:कई विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में चूंकि बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान छह से आठ महीने पहले ही प्रारंभ हुआ था, इसलिए यहां की प्राथमिकता अलग होनी चाहिए।

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कोरोना वैक्सीन की 'बूस्टर' खुराक देने की जरूरत समझी जा रही है
मुख्य बातें
  • कोरोना वैक्सीन की 'बूस्टर' खुराक देने की जरूरत समझी जा रही है
  • एक्सपर्ट्स बोले-भारत में बड़े स्तर पर टीकाकरण मार्च 2021 में ही शुरू हुआ है
  • 'हमें भारत में सभी लाभार्थियों को टीके की दोनों खुराक देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए'

नयी दिल्ली: वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में अभी जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को संक्रमण के प्रति आधारभूत सुरक्षा मिलनी बाकी है इसलिए कोविड-रोधी टीके की 'बूस्टर' डोज (corona vaccine booster dose) देने की बजाय लाभार्थियों को दोनों खुराक देने को प्राथमिकता देनी चाहिए। कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप (Omicron) के सामने आने से उपजी चिंता और टीके से संक्रमण के प्रति मिली सुरक्षा में कमी होने से 'बूस्टर' खुराक देने की जरूरत समझी जा रही है। 

भारतीय 'सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स सिक्वेंसिंग कंसोर्टियम' ने जोखिम वाले इलाकों और संक्रमण के ज्यादा करीब रहने वाली जनसंख्या के 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीके की बूस्टर खुराक देने की वकालत की है, लेकिन विशेषज्ञों की राय इससे अलग है।इंसाकोग, राष्ट्रीय जांच प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है जिसे सरकार ने कोविड-19 के परिवर्तित होते जीनोमिक स्वरूप पर निगरानी के उद्देश्य से बनाया है। रोग प्रतिरोधक क्षमता वैज्ञानिक विनीता बल ने कहा, 'हमारे यहां 18 साल से कम उम्र के लोगों की बड़ी आबादी है। जब तक इन्हें टीका नहीं दिया जाता, दूसरी खुराक के लिए एक समान नीति या तीसरी खुराक का सुझाव देना बेमानी है।'

'भारत में बड़े स्तर पर टीकाकरण मार्च 2021 में ही शुरू हुआ है'

उन्होंने कहा कि भारत में बड़े स्तर पर टीकाकरण मार्च 2021 में ही शुरू हुआ है। 'हमें भारत में सभी लाभार्थियों को टीके की दोनों खुराक देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के लोगों को बड़े स्तर पर टीका लगाने पर जोर देना चाहिए।' पुणे के भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में अतिथि शिक्षक बल ने कहा, 'टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों में संक्रमण होने की लगातार सामने आ रही खबरों से पता चलता है कि ऐसे लोगों में बीमारी उतनी गंभीर नहीं है जितनी उन लोगों में जिन्होंने टीके की एक भी खुराक नहीं ली है। इससे भी इसकी पुष्टि होती है कि भारत में टीका लगवा चुके लोगों में रोग प्रतिरक्षा क्षमता है।'

नयी दिल्ली के राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान के सत्यजीत रथ ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि दुनिया में किसी भी टीके के लिए बूस्टर की जरूरत है या नहीं। उन्होंने कहा, 'हाल के अध्ययन में प्रतिरक्षा की अवधि और सुरक्षा में अंतर दिखने लगा है। इसलिए मैं इन आंकड़ों के आधार पर बूस्टर खुराक के बारे में जल्दबाजी में कोई निश्चित राय नहीं दे सकता।'

'... इसकी बजाय मास्क लगाने पर जोर देना चाहिए'

मुंबई के एक अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और महाराष्ट्र सरकार के कोविड-19 कार्यबल के सदस्य वसंत नागवेकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि टीके की बूस्टर खुराक काम करती भी है तो यह अस्थायी रूप से समस्या का समाधान होगा और इसकी बजाय मास्क लगाने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने एक बयान में कहा, 'वैज्ञानिक आंकड़ों से पता चला है कि मास्क के कारण कोविड-19 का प्रसार 53 प्रतिशत तक घट सकता है।

टीके की बूस्टर खुराक, काम करती भी है तो यह केवल एक अस्थायी समाधान होगा। हम हर छह महीने पर और वायरस के हर स्वरूप के लिए बूस्टर खुराक नहीं ले सकते। मास्क लगाना आज की जरूरत है और टीकाकरण का कोई विकल्प नहीं है।'

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