- 80 के दशक में पंजाब में आतंकवाद फैलने की एक प्रमुख वजह बेअदबी के मामले थे।
- एक बार फिर पंजाब में बेअदबी के मामले सुर्खियों में आ रहे हैं।
- 2016 से 2021 के दौरान कुल 17 लोग मारे गए हैं। जिसमें 16 आम नागरिक की मौत हुई है। जबकि एक आतंकवादी मारा गया है।
Punjab Mohali Blast : सोमवार को मोहाली में इंटेलिजेंस ब्यूरो के ऑफिस की तीसरी मंजिल पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (RPG)के जरिए धमाका करने की जिम्मेदारी खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने ली है। इस बीच सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि हमले के पीछे पाकिस्तान के K-2 डेस्क का भी हाथ हो सकता है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का यह K-2 (कश्मीर-खालिस्तान) डेस्क भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा एवं आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है। इन अहम जानकारियों से साफ है कि पंजाब में एक बार फिर खालिस्तान गुट सक्रिय हो गया है। जो यहां की परिस्थितियों की फायदा उठाकर 80 के दशक जैसा हाल करना चाहता है। जब खालिस्तान के नाम पर 1981 से 1997 के दौरान 13 हजार से ज्यादा आम आदमी और सुरक्षा बलों की लोगों की जानें गई थी। इसके अलावा 8 हजार से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे।
धार्मिक भावना के नाम पर फैला था 80 का आतंकवाद
80 के दशक में पंजाब में आतंकवाद फैलने की प्रमुख वजह बेअदबी के मामले थे। जिसके कारण खालिस्तान समर्थकों को आम जनता के एक बड़े तबके का सहयोग मिला। और पंजाब में करीब 15 साल तक खूनी खेल चलता रहा है। जिसे भड़काने में सीमा पार पाकिस्तान का भी हाथ रहा है। आतंकवाद के उभार और बेअदबी के बीच बेहद करीब का संबंध रहा है। 13 अप्रैल 1978 को अखंड कीर्तनी जत्था व दमदमी टकसाल और निरंकारियों के बीच हिंसक टक्कर में अखंड कीर्तनी जत्था के 13 सदस्य मारे गए। और इसी के साथ जरनैल सिंह भिंडरांवाले का उभार हुआ। और इसके बाद 1980 के दशक में गुरुद्वारों और मंदिरों को अपवित्र किए जाने घटनाओं का इस्तेमाल धार्मिक आधार पर विद्वेष फैलाने और आतंकवाद को भड़काने के लिए किया जाता रह।1986 का नकोदर बेअदबी कांड का इसका प्रमुख उदाहरण है। और फिर ऐसा खूनी-खेल चला जिसमें 11 हजार ज्यादा आम लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
2015 से फिर सुर्खियों में बेअदबी मामला
बेअदबी का मामला इतना संवेदनशील रहा है कि इस आधार पर पंजाब में धार्मिक भावनाएं फैलाना बेहद आसान रहा है। इसी कड़ी में साल 2015 में बरगाड़ी बेअदबी कांड हुआ। जिसमें पवित्र ग्रंथ के साथ बेअदबी की बात सामने आई थी। जिसको लेकर कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच भी खूब तनातनी चली। क्योंकि 2017 के चुनाव में कांग्रेस इस मामले में न्याय दिलाने के वादे के साथ सरकार में आई थी।
इसके बाद दिसंबर 2021 में लगातार दो मामले हुए, जिसे बेअदबी से जोड़ा गया। पहला मामला स्वर्ण मंदिर का था, जहां बेअदबी के शक में एक व्यक्ति को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। आरोपी व्यक्ति परिसर में सचखंड साहिब के जंगले को पार कर पवित्र ग्रंथ के पास पहुंचने की कोशिश कर रहा था। जबकि दूसरा मामला कपूरथला के गुरूद्वारे का था, जहां पर एक चोर को पीट-पीट कर मार डाला गया।
फिर से बढ़ रही है आतंकी घटनाएं
पंजाब में आतंक या दहशत फैलाने की घटनाओं में एक बार फिर इजाफा होता दिख रहा है। द इंस्टीट्यूट ऑफ कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट (The Institute of Conflict Management)के प्रोजेक्ट खालिस्तान खालिस्तान एक्स्ट्रीमिज्म मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार 2016 से एक बार राज्य में आतंकी घटनाएं बढ़ने लगी हैं। 2016 से 2021 के दौरान कुल 17 लोग मारे गए हैं। जिसमें 16 आम नागरिक की मौत हुई है। जबकि एक आतंकवादी मारा गया है।
बेरोजगारी, ड्रग और कृषि संकट बड़ी चुनौती
असल में किसी भी क्षेत्र में आतंकवादियों के सबसे आसान टारगेट युवा होते हैं। जिन्हें भड़काकर आतंकवादी गतिविधियों के लिए तैयार किया जाता है। पंजाब में भी बब्बर खालसा, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स , इंडियन सिख यूथ फेडरेशन , खालिस्तान कमांडो फोर्स और सिख फॉर जस्टिस जैसे आतंकवादी संगठन ऐसा ही कर रहे हैं। और उसमें उन्हें सीमा पार पाकिस्तान से सहयोग मिल रहा है।
पंजाब में इस समय बेरोजगारी दर भारत के कई राज्यों की तुलना में ज्यादा है। CMIE के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2022 में 7.2 फीसदी रही है। जबकि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, हिमाचल जैसे राज्यों की स्थिति कहीं बेहतर है।इसी तरह पंजाब में गहराता कृषि संकट भी नई चुनौती लेकर आ रहा है। हरित क्रांति के बाद जो पंजाब 70 और 80 के दशक में कृषि क्षेत्र में 5 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ कर रहा था। वह अब एक से 1.5-2 फीसदी के करीब आ गया है। जिसका असर भी लोगों की इनकम पर हुआ है। इसी तरह पंजाह में युवाओं में ड्रग्स की लत भी एक बड़ी समस्या है। Punjab Opioid Dependence Survey (PODS) के अनुसार 2015 में पंजाब की करीब 2 फीसदी व्यस्क आबादी ड्रग का शिकार हो चुकी है। सर्वे के अनुसार करीब 2.32 लाख लोग ड्रग्स ले रहे थे। जाहिर है ये ऐसी चुनौतियां हैं जो आने वाले समय में आतंक के खिलाफ लड़ाई में पंजाब के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
रिंदा की साजिश है RPG से हमला! इस कनेक्शन को भी खंगाल रही पंजाब पुलिस