- गुजरात दंगों के संबंध में 2002 में नरेंद्र मोदी सरकार ने गठित किया था नानावती आयोग
- 2014 में गुजरात सरकार को आयोग की तरफ से सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई।
- पांच वर्ष बाद 2019 में गुजरात विधानसभा के पटल पर रखी गई यह रिपोर्ट
नई दिल्ली। 2002 गुजरात दंगों के संबंध में तत्कालीन मोदी सरकार को नानावती आयोग ने क्लीन चिट दे दी है। इस आयोग का गठन 2002 में ही तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के निर्देश पर किया गया था। आयोग ने 2014 में गुजरात की सीएम रहीं आनंदीबेन पटेल को रिपोर्ट सौंप दी थी जिसे पांच वर्ष बाद 2019 में गुजरात विधानसभा के पटल पर रखा गया। आयोग के मुताबिक हिंसा प्रायोजित नहीं थी। दरअसल नरेंद्र मोदी सरकार पर कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि गुजरात दंगों में किसी न किसी रूप में सरकार का हाथ था जिसकी अगुवाई उस समय नरेंद्र मोदी कर रहे थे।
नानावती- मेहता आयोग को गोधरा ट्रेन कांड के बाद राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी। आयोग ने माना कि राज्य के अलग अलग हिस्सों में हिंसा गोधरा कांड के बाद हुई थी और वो प्रायोजित नहीं थी। बता दें कि गोधरा के बाद सांप्रदायिक हिंसा में करीब 1000 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। आयोग के पहले पार्ट में गोधरा कांड का जिक्र किया गया है जिसमें एक बोगी में 59 कारसेवक जलाकर मार दिए गए थे। ये वो यात्री थे जो साबरमती एक्सप्रेस से वापस गुजरात आ रहे थे और 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर उनकी बोगी जला दी गई थी।
गोधरा कांड के बाद की हालातों पर विस्तृत जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश जी टी नानावती को जिम्मेदारी दी गई थी बाद में उस आयोग में के जी शाह को शामिल किया गया। लेकिन के जी शाह के निधन के हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अक्षय मेहता को शामिल किया गया।