नई दिल्ली : नाथूराम गोडसे को पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे के तौर पर जानती है, जिसने 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। दिल्ली के बिरला भवन में तीन गोलियां मारकर महात्मा गांधी की हत्या करने वाले गोडसे हिंदू राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक था, जिसका ताल्लुक महाराष्ट्र के पुणे से था। बापू के हत्यारे गोडसे का जन्म 19 मई, 1910 को एक मध्यमवर्गीय मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
गांधी के हत्यारे को दी गई फांसी
गांधी की हत्या के सिलसिले में गोडसे में 8 नवंबर, 1949 को मौत की सजा सुनाई गई थी। तकरीबन एक साल तक चले मुकदमे में उसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या का दोषी पाया गया था। बापू की हत्या की साजिश उसने नारायण आप्टे और छह अन्य लोगों के साथ मिलकर की थी और इस जुर्म में उसे 15 नवंबर, 1949 को अंबाला सेंट्रल जेल में फांसी की सजा दे दी गई थी।
गांधी को नापसंद करता था गोडसे
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विचारधारा गोडसे को कभी पसंद नहीं आई। खासतौर पर 1947 में जब देश ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ तो उस वक्त हुए देश के विभाजन के बाद की परिस्थितियों के लिए गांधी को जिम्मेदार ठहराया। उसका मानना था कि महात्मा गांधी ने बंटवारे के दौरान मुसलमानों की राजनीतिक मांगों का समर्थन किया और हिन्दुओं के खिलाफ अत्याचार पर विरोध नहीं जताया।
गोडसे उग्र हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थक
गोडसे ने वर्ष 1940 के दशक की शुरुआत में ही 'हिंदू राष्ट्र दल' संगठन बना लिया था। उसकी विचारधारा उग्र हिन्दू समर्थक थी और वह गांधी को हिन्दू विरोधी मानता था। इस बीच वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और हिंदू महासभा का भी सदस्य रहा। गांधी के हत्यारे गोडसे को अंतमुर्खी और धर्मांध भी बताया जाता है। तुषार गांधी ने अपनी पुस्तक 'लेट्स किल गांधी' में भी इसका जिक्र किया है।
गोडसे को लेकर सियासी हंगामा
गोडसे को लेकर पिछले कुछ वर्षों में सियासत एक बार फिर गरमाई है। साल 2109 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले और इसके बाद भी सियासी गलियारों में गोडसे की खूब चर्चा सुनी गई। बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान को लेकर भी खूब बवाल हुआ था, जिन्होंने गोडसे को 'देशभक्त' बताया था। बाद में उन्होंने इस पर माफी भी मांगी। वहीं, इसके उलट राय रखने वालों की कमी नहीं, जिन्होंने गोडसे को आजाद भारत का पहला आतंकवादी करार दिया।