लाइव टीवी

कोरोना वायरस : भारतीय सोच एवं संकल्प को बयां करती है 'देश को बचाना है' कविता 

Updated Mar 26, 2020 | 17:55 IST

Coronavirus poem : कोरोना वायरस का प्रकोप 196 देशों में फैल चुका है। चार लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। दुनिया भर में इस बीमारी से अब तक करीब 18 हजार लोग काल के गाल में समा गए हैं।

Loading ...
कोरोना के प्रकोप से लड़ने के लिए उठ खड़ा हुआ है देश।

नई दिल्ली : कोरोना वायरस का प्रकोप 196 देशों में फैल चुका है। चार लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। दुनिया भर में इस बीमारी से अब तक करीब 18 हजार लोग काल के गाल में समा गए हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। इस बीमारी से यहां 13 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत एक ऐसा देश है जो मुश्किलों एवं चुनौतियों से कभी घबराता नहीं है। वह चुनौतियों को अवसर में बदलने वाला देश है। भारत अपनी फिक्र करने के साथ सबकी चिंता करने वाला देश भी है। नवीन कुंडू की 'देश को बचाना है' कविता कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ भारत की सकारात्मक सोच एवं चुनौतियों से लड़ने की उसकी जिजीविषा को दर्शाती है। 

देश को बचाना है
बाहर नहीं निकलना है
देश को बचाना है

खाना कम खाना है
देश को बचाना है
हाथ भी धोना है
लेकिन पानी भी बचाना है
इस देश को बचाना है

बाहर चिड़िया को खिलाना है
बाहर जानवर को भी खिलाना है
इस देश को भी बचाना है

यह समाज संघर्ष का है
यह समय चुनौती का है
हमें अपना योगदान देना है
इस देश को बचाना है

इस घड़ी में धैर्य से काम लेना है
हर घड़ी संघर्ष करना है
इस देश को बचाना है

हर आदमी कहता था मुझे देश के लिए मरना है
अब समय आ गया है देश के लिए जीना है
इस देश को बचाना है

जय हिंद
भारत माता की जय!

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।