- नवजोत सिंह सिद्धू ने चन्नी सरकार को चेतावनी दी है
- उन्होंने बेदबी मामले में रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की
- साथ ही चेताया कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह भूख हड़ताल करेंगे
चंडीगढ़ : पंजाब की राजनीति में इन दिनों बेअदबी और ड्रग्स का मुद्दा छाया हुआ है। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं में ही इस मसले पर अंतर्कलह की स्थिति बनी हुई है। स्थानीय लोगों के लिए भी यह एक बड़ा मसला है। नवजोत सिंह सिद्धू इसे लेकर पूर्ववर्ती अमरिंदर सिंह सरकार पर सियासी वार करते रहे हैं और अब इसी मसले पर उन्होंने चरणजीत सिंह चन्नी सरकार को भी घेरा है और अपनी मांगें पूरी नहीं होने की स्थिति में भूख हड़ताल की चेतावनी दी है।
चन्नी सरकार को सिद्धू की चेतावनी
एक जनसभा को संबोधित करते हुए पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चन्नी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने ड्रग्स मामलों और बेअदबी से संबंधित मामले की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की तो वह राज्य सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने सरकार से इन रिपोर्ट्स को जल्द से जल्द सार्वजनिक करने की मांग की।
पंजाब की सियासत में बेअदबी और कोटकपुरा फायरिंग के मुद्दे पर विपक्ष से अधिक कांग्रेस के नेता खुद सरकार से सवाल करते रहे हैं। पंजाब कांग्रेस में अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच टकराव की एक अहम वजह यह भी बताई जाती है। अब जबकि अमरिंदर सिंह न केवल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं, बल्कि कांग्रेस का साथ छोड़ अपनी नई पार्टी भी गठित कर ली है, सिद्धू ने इसे लेकर अब चन्नी सरकार को चेताया है।
क्या है मामला?
पंजाब में गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला करीब छह साल पुराना है। पंजाब के बरगाड़ी से करीब पांच किलोमीटर दूर बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में स्थित गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप 1 जून, 2015 को चोरी हो गए थे। इसमें डेरा सच्चा सौदा का हाथ होने की बात भी सामने आई है। उसी साल 12 अक्टूबर को बरगाड़ी गुरुद्वारे में मत्था टेकने गए लोगों को आसपास की नालियों और सड़कों पर गुरुग्रंथ साहिब के पन्ने बिखरे मिले थे।
इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर सैकड़ों लोगों ने बरगाड़ी और कोटकपुरा में प्रदर्शन किया था, जब प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी। इसमें दो लोगों की जान गई थी, जबकि कई अन्य घायल हुए थे। तत्कालीन अकाली-बीजेपी सरकार ने मामले की जांच के लिए आयोग का गठन किया था। बाद में मार्च 2017 में पंजाब की सत्ता में कांग्रेस आई और इसने नए सिरे से जांच के आदेश दिए। जून 2018 में इसकी रिपोर्ट सौंपी गई, जिसमें डेरा की भूमिका पर संदेह जताया गया।