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जानें क्या है PFI, कौन हैं उसके नेता, संगठन पर राजनीतिक हत्या,दिल्ली दंगे से लेकर टेरर फंडिंग के हैं आरोप

Updated Sep 22, 2022 | 13:18 IST

PFI And NIA Raid: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया  एक इस्लामिक संगठन है। ये संगठन खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताता है। लेकिन इस पर राजनीतिक हत्या से लेकर, आतंकी गतिविधियों के लिए लोगों को भड़काने जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
PFI पर कई गंंभीर आरोप
मुख्य बातें
  • 17 सितंबर  को केरल के कोझीकोड में PFI ने पीपुल्स ग्रैंड कांफ्रेंस का आयोजन किया था। जिसमें भड़काऊ भाषण के आरोप लगे हैं।
  • पटना के फुलवारी शरीफ में दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी से खुलासा हुआ था कि पीएम नरेंद्र मोदी बिहार यात्रा के दौरान निशाने पर थे।
  • साल 2010 में केरल के प्रोफेसर टीजे जोसेफ कट्‌टरपंथियों के निशाने पर आए थे। और उनका एक हाथ काट दिया गया था।

PFI And NIA Raid: नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने बृहस्पतिवार सुबह से 14 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कई ठिकानों पर छापेमारी की है। ताजा खबर मिलने तक यह कार्रवाई आतंकी फंडिंग केस में हो रही है। दिल्ली से लेकर केरल तक हो रही इस छापेमारी में अब तक PFI से जुड़े 106 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है। हिरासत में लिए जाने वाले लोगों में संगठन का प्रमुख ओ.एम.ए सालम भी शामिल है। 

रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक गिरफ्तारियां केरल से की गई है। यहां पर 22 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इसके बाद कर्नाटक से 20 महाराष्ट्र से 20 ,तमिलनाडु से 10 असम से 9,उत्तर प्रदेश से 8, आंध्र प्रदेश से 5, मध्य प्रदेश से 4, दिल्ली से 3, पुडुचेरी से 3, और राजस्थान से 2 लोगों  को हिरासत में लिया गया है। 

इसके 3 लाख से ज्यादा फेसबुक फॉलोअर्स हैं। वहीं ट्विटर पर करीब 80 हजार फॉलोअर्स हैं।

अब तक ये प्रमुख नेता गिरफ्तार

राष्ट्रीय अध्यक्ष- ओ.एम.ए सालम
राष्ट्रीय महासचिव- एलामारम करीम
राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य-ए.एस.इस्माइल

इन प्रमुख नेताओं के अलावा 106 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।

इस कार्रवाई पर PFI ने बयान जारी कर कहा है कि पीएफआई के राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और स्थानीय नेताओं के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं। राज्य समिति के कार्यालय की भी तलाशी ली जा रही है। हम फासीवादी शासन द्वारा असंतोष की आवाज को दबाने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग किए जाने का कड़ा विरोध करते हैं।

सवाल उठता है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर NIA इतनी बड़ी कार्रवाई क्यों कर रही है। और PFI के  किन संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त होने का शक है। अधिकारियों के अनुसार, आतंकवदियों को कथित तौर पर पैसा मुहैया कराने वालों, उनके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने वालों और लोगों को प्रतिबंधित संगठनों से जुड़ने के लिए भड़काने में शामिल व्यक्तियों के परिसरों पर छापे मारे जा रहे हैं। 

इसके पहले 18 सितंबर को NIA ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के 40 ठिकानों पर छापेमारी की थी।

हाल की इन घटनाओं से निशाने पर PFI

बीते जुलाई में पटना के फुलवारी शरीफ में पीएम मोदी निशाने पर थे। साजिश के बारे में पुलिस और एजेंसी का दावा था कि बिहार विधानसभा में 12 जुलाई को हुए शताब्दी समारोह के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी आतंकी संगठन PFI के निशाने पर थे। FIR में पुलिस ने कहा था कि PM के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भीड़ जुटाने की तैयारी थी। इस मामले में पुलिस ने अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन  को गिरफ्तार किया था। आरोप था इनके पास से इंडिया 2047 नाम का 7 पेज का डॉक्यूमेंट भी मिला है। जिसमें यह बात सामने आई कि अगले 25 साल में वह भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहते थे।

इसी तरह कर्नाटक में शुरू हुए हिजाब विवाद में भी एजेंसी और सरकार को शक है कि पीएफआई ने ही लोगों को भड़काया था। फिलहाल हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। 

देश के 14 राज्यों में PFI के ठिकानों पर ED और NIA की रेड, दिल्ली पीएफआई हेड गिरफ्तार

हाल ही में PFI ने की थी बड़ी रैली

इसी महीने 17 सितंबर  को केरल के कोझीकोड में PFI ने पीपुल्स ग्रैंड कांफ्रेंस का आयोजन किया था। इस आयोजन को वह लोकतंत्र बचाओ अभियान के तहत चला रहे हैं। इस दौरान ऑल इंडिया इमाम काउंसिल के अफजल कासिमी ने कहा था कि  संघ परिवार और सरकार हमें दबाने की कोशिश कर रहे हैं। इस्लाम पर जब भी खतरा होगा हम शहादत से पीछे नहीं हटेंगे।  यह आजादी की दूसरी लड़ाई है और मुसलमानों को जिहाद के लिए तैयार रहना है।

इसके अलावा शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन, उसके बाद फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों और उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक दलित महिला से गैंगरेप और उसकी मौत के बाद दंगे भड़काने की साजिश रचने के आरोप भी पीएफआई पर लगे हैं। 

ईडी ने इसी तरह पिछले साल फरवरी में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर पीएफआई और उसकी छात्र इकाई कैंपल फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। उसने दावा किया था कि पीएफआई के सदस्य हाथरस के कथित सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद ‘सांप्रदायिक दंगे भड़काना और आतंक का माहौल बनाना’ चाहते थे।

आरोप पत्र में जिन लोगों को नामजद किया गया है, उनमें सीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव एवं पीएफआई सदस्य के ए रऊफ शरीफ, सीएफआई के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अतिकुर रहमान, सीएफआई की दिल्ली इकाई के महासचिव मसूद अहमद, पत्रकार सिद्दिकी कप्पन और सीएफआई और पीएफआई का एक अन्य सदस्य मोहम्मद आलम शामिल हैं। ईडी ने इस साल दाखिल किए गए दूसरे आरोपपत्र में दावा किया था कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में स्थित एक होटल पीएफआई के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का जरिया बना था।

क्या है PFI

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया  एक इस्लामिक संगठन है। ये संगठन खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताता है। इसका गठन साल 2007 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF)के उत्तराधिकारी के रूप में हुई। इसके पहले वर्ष 2006 में तीन मुस्लिम संगठन राष्ट्रीय विकास मोर्चा, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु की मनिथा नीति पासारी का विलय हुआ । और उसके बाद PFI अस्तित्व में आया । इसका मुख्यालय दिल्ली में है। दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद दक्षिण में इस तरह के कई संगठन सामने आए थे। उनमें से कुछ संगठनों को मिलाकर पीएफआई का गठन किया गया। पीएफआई का दावा  है कि उसकी देश के 22 राज्यों में इकाइयां है। 

27 राजनीतिक हत्याओं में शामिल !

पीएफआई पर आरोप है कि जब  स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो इसके ज्यादातर नेताओं ने पीएफआई का दामन थाम लिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार  2014 में केरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने अपने हलफनामा में दावा किया था कि पीएफआई के कार्यकर्ता केरल में 27 राजनीतिक हत्याओं के जिम्मेदार थे। और 86 राजनीतिक लोगों की हत्या की कोशिश की गई थी। इसके अलावा PFI केरल में हुई 106 सांप्रदायिक घटनाओं में किसी न किसी रूप में शामिल था।

भाजपा केरल में अपने कार्यकर्ताओं और आरएसएस के कई नेताओं के हत्या का आरोप PFI पर लगाती रही है।

प्रोफेसर के हाथ काटने का आरोप

इसी तरह साल 2010 में केरल के एक कॉलेज के प्रोफेसर टीजे जोसेफ कट्‌टरपंथियों के निशाने पर आए थे। प्रोफेसर जोसेफ ने परीक्षा के लिए तैयार प्रश्न पत्र में 'मोहम्मद' नाम लिखा था। जोसेफ पर धार्मिक भावनाएं आहत करने और ईशनिंदा का आरोप लगा था। उसके बाद कट्‌टरपंथियों ने उनका दाहिना हाथ काट दिया था। 

(एजेंसी इन पुट के साथ)   
 

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