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फांसी का फंदा सामने देख बौखला रहे निर्भया के दोषी, जेलकर्मियों से कर रहे गाली-गलौच, रख रहे अजीब मांगें

Updated Mar 17, 2020 | 09:12 IST

Nirbhaya case: खबर है कि जैसे-जैसे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी की तारीख करीब आ रही है, वैसे-वैसे उनके व्यवहार में बदलाव आ रहा है। वो जेलकर्मियों के साथ खराब व्यवहार कर रहे हैं।

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निर्भया के दोषी

नई दिल्ली: 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे निर्भया के दोषियों को फांसी दी जाएगी। यानी कि अब उनके पास 70 घंटे से भी कम का समय बचा है। चारों दोषियों ने अभी तक फांसी टालने के लिए हरसंभव प्रयास कर लिया है, लेकिन इस बार ये अंतिम लग रहा है। चारों के खिलाफ जारी हुआ ये चौथा डेथ वारंट है, इससे पहले जारी हुए तीन डेथ वारंट किसी न किसी कानूनी वजह से टालने पड़े और इनकी जान बचती चली गई। अब इनके सारे कानूनी विकल्प खत्म बताए जा रहे हैं, जिससे कहा जा सकता है कि इस बार इन्हें फांसी लग जाएगी। 

'दैनिक भास्कर' की खबर के मुताबिक जैसे-जैसे फांसी की तारीख करीब आ रही है, वैसे-वैसे दोषियों का व्यवहार भी बदल रहा है। वे जेलकर्मियों के साथ बुरा व्यवहार कर रहे हैं, गाली-गलौत करते हैं और अजीब-अजीब मांग करते हैं। बताया जाता है कि चारों में पवन और विनय का व्यवहार सबसे ज्यादा खराब है। 

विनय पहले जिस कैदी के साथ जेल संख्या 4 में रहा था, वो बार-बार उससे बात करने की जिद करता है। वहीं खबर है कि अक्षय ने खाना-पीना कम कर दिया है और सोता भी कम है। चारों जेल संख्या-3 के वार्ड 8 के हाई सिक्योरिटी सेल में बंद हैं। इस सेल में 10 कमरे हैं, जिसमें से 4 में इनको अलग-अलग रखा गया है, बाकी खाली हैं।

आज जेल पहुंच जाएगा पवन जल्लाद
वहीं पवन जल्लाद आज तिहाड़ जेल पहुंच जाएगा। तिहाड़ प्रशासन ने फांसी से 3 दिन पहले पवन को जेल में रिपोर्ट करने को कहा था। जेल अधिकारियों के अनुसार, जल्लाद के आने के बाद डमी फांसी का संचालन किया जाएगा। इसके अलावा दोषियों का दिन में एक बार हेल्थ चैकअप किया जा रहा है। नियमित रूप से उनकी काउंसलिंग भी की जा रही है। चार दोषियों ने अपने-अपने परिवारों के साथ मुलाकात की हैं। 

दोषियों के परिजनों की राष्ट्रपति से गुहार
इस बीच दोषियों के परिजनों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। इस पत्र में लिखा है, 'हम आपसे (राष्ट्रपति) और पीड़िता के माता-पिता से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे अनुरोध को स्वीकार करें और हमें इच्छामृत्यु की अनुमति दें और भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध को रोकें, ताकि निर्भया जैसी दूसरी घटना न हो और अदालत को एक के बदले 5 लोगों को फांसी न देनी पड़े।' पत्र में आगे लिखा है कि बदले का भाव तो शक्ति की परिभाषा नहीं है, माफ करने में ही शक्ति है। पवित्र पुस्तक रामायण भी यही कहती है। इसमें लिखा है कि पाप, पापी व परिवार को समूल रूप से नष्ट करके भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध पर रोक लगाएं। 

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