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Nirbhaya Case: गैंगरेप नहीं, इस जुर्म के लिए दी जा रही है निर्भया के चारों दरिंदों को फांसी

Updated Feb 05, 2020 | 15:15 IST

Nirbhaya Case Update: निर्भया के चारों दरिंदों की फांसी का पूरा देश पिछले सात साल से इंतजार कर रहा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इन दरिंदों को गैंगरेप नहीं किसी दूसरे जुर्म की सजा मिल रही है।

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Supream Court
मुख्य बातें
  • चारों दरिंदों को निर्भया के साथ गैंगरेप नहीं बल्कि दूसरे जुर्म के लिए फांसी दी जा रही है।
  • चारों दरिंदों को पटियाला हाउस कोर्ट ने साल 2013 में मौत की सजा दी थी।
  • 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने और 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को जारी रखा था।

नई दिल्ली. निर्भया के दरिंदों की फांसी का इंतजार लंबा होता जा रहा है। बीते शुक्रवार पटियाला हाउस कोर्ट ने पवन गुप्ता, मुकेश, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा के डेथ वारंट पर रोक लगा दी थी। निर्भया के गुनहगारों को पटियाला हाउस कोर्ट ने साल 2013 में मौत की सजा दी थी। 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने और 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को जारी रखा था। लेकिन बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि चारों दोषियों को एक साथ फांसी के तख्त पर लटकाया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है। अदालत ने सभी दोषियों को कानूनी उपचार के इस्तेमाल के लिए का एक हफ्ते का समय दिया है। इसका अर्थ यह है कि सात दिन के बाद सभी दोषी एक ही साथ फांसी के फंदे पर चढ़ा दिए जाएंगे क्योंकि उनके पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा। 

लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इन चारों दरिंदों को निर्भया के साथ गैंगरेप नहीं बल्कि दूसरे जुर्म के लिए फांसी दी जा रही है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक निर्भया के चारों दरिंदों- मुकेश, अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को आईपीसी के सेक्शन 302 के तहत फांसी की सजा दी गई है। सेक्शन 302 के तहत मुजरिम यदि हत्या का दोषी पाया जाता है तो उसे मृत्यु दंड या फिर आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है।

निर्भया से गैंगरेप के जुर्म में इन्हें आईपीसी की धारा 376 (2) के तहत आजीवन कारावास और हर एक पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना नहीं देने की स्थिति पर उनकी सजा की अवधि एक महीने और बढ़ जाएगी।

इस मामले में मिली है सात साल की सजा

पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को आईपीसी की धारा 365 (अपहरण) और आईपीसी की धारा 366 (किसी स्त्री को बहला फुसलाकर अपहरण) के तहत सात-सात साल की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा हर दरिंदे पर पांच-पांच हजार का जुर्माना भी लगाया गया है।      

निर्भया के इन चारों दोषियों को आईपीसी की धारा 201(सबूत मिटाने) और धारा 307 (हत्या की कोशिश) के तहत भी सात-सात साल की सजा और पांच हजार के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। वहीं, धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) के तहत दस साल और धारा 120B (अपराधिक साजिश) के तहत आजीवन कारावास की सजा मिली है।  

इस मामले में मिला है आजीवन कारावास

पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को आईपीसी की धारा 412 (लूट) के तहत भी आजीवन कारावास और पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा मिली है। गौरतलब है कि इस केस के मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में सुसाइड कर ली थी। इस अपराध में शामिल एक नाबालिग तीन साल सजा काटकर रिहा हो गया।

आपको बता दें कि राष्ट्रपति ने मुकेश और विनय की दया याचिका खारिज कर दी है। अक्षय, विनय और मनोज की रिव्यू और क्यूरेटिव याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। इसके अलावा पवन के पास क्यूरेटिव याचिका और राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का विकल्प बचा है। वहीं, अक्षय के पास भी दया याचिका का विकल्प बचा है।    

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