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Nirbhaya का इलाज कर रहे डॉक्टर ने कहा था- '20 साल में नहीं देखा ऐसा केस, क्या काटें क्या जोड़ें समझ से परे'

Updated Mar 07, 2020 | 12:25 IST

Nirbhaya Gangrape Case: निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा के लिए 20 मार्च की तारीख तय की गई है। इससे पहले निर्भया की मां आशा देवी ने कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
निर्भया की मां
मुख्य बातें
  • निर्भया की मां ने 16 दिसंबर 2012 से अब तक के अपने सफर को किया बयां
  • हालिया इंटरव्यू में आशा देवी ने किए कई हैरान करने वाले खुलासे
  • बताया- डॉक्टरों ने कहा था 20 साल के करियर में उन्होंने नहीं देखा ऐसा केस
  • उन्हें समझ नहीं आ रहा था शरीरके किस हिस्से को कहां काटें कहां जोड़ें

नई दिल्ली : निर्भया के दोषियों की फांसी का इंतजार पूरे देश को है। कोर्ट ने 20 मार्च की तारीख उसके दोषियों की फांसी की सजा के लिए मुकर्रर की है। सात साल पहले निर्भया के साथ दिल्ली की सड़कों पर हुई दरिंदगी की कहानी आज भी लोगों के दिलो दिमाग में सिहरन पैदा कर देती है। निर्भया की मां आशा देवी ने हाल ही में इस केस से जुड़े कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं जो ना सिर्फ भावुक करने वाले हैं बल्कि देश की कानून व्यवस्था की भी पोल खोलती नजर आती है।  

एक चैनल के साथ इंटरव्यू में आशा देवी ने 16 दिसंबर 2012 की रात से लेकर अब तक के अपने सफर को बयां किया। उन्होंने बताया कि 16 दिसंबर की शाम जब निर्भया वापस घर नहीं लौटी तो हमने हर तरफ उसकी तलाश की। करीब 11 बजे रात हमें सफदरजंग अस्पताल से फोन आया और उधर से कहा गया कि आपकी बेटी सफदरजंग अस्पताल में भर्ती है, आ जाइए।

हैवानियत का नहीं था अंदाजा
पहले इसके पापा अस्पताल गए और वहां से हमें फोन कर बुलाया कि बेटी की हालत बहुत खराब है। अस्पताल पहुंचे तो बेटी को डॉक्टर ऑपरेशन रुम लेकर जा रहे थे। वह हमें देखकर रोने लगी तो मैंने उससे कहा कि तुम ठीक हो जाओगी परेशान मत हो, लेकिन उसकी हालत देखकर उसके दर्द की कल्पना करना मुश्किल था। उस समय तक ये तो पता चल गया कि छह लोगों ने उसके साथ दरिंदगी की थी लेकिन किस कदर तक हैवानियत की थी उसका अंदाजा हमें नहीं थी। 

जब डॉक्टरों ने कहा- अब चमत्कार की ही उम्मीद
ऑपरेशन रुम में उसे ले गए और फिर हमारा समय काटना मुश्किल हो रहा था। सीनियर डॉक्टरों ने आकर बताया कि उन्हें 20 साल इस पेशे में काम करते हुए हो गए लेकिन ऐसा केस आज तक कभी नहीं आया। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि निर्भया के शरीर के किस पार्ट का पहले ऑपरेशन किया जाए। डॉक्टरों ने आश्वासन दिया था कि उसकी हालत बहुत गंभीर है लेकिन वे अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं, भगवान ही कोई चमत्कार कर सकते हैं। 

अस्पताल के बाहर लोगों की भारी भीड़
आशा देवी ने बताया कि उसे होश आया तो उसने पानी और खाना मांगा लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि उसकी हालत ऐसी है कि उसे अभी कुछ नहीं दिया जा सकता है। आज भी उसका मुझे दुख है। निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए दुनियाभर में प्रदर्शन किए गए। एक दिन अस्पताल में जब वह बेहोश थी और हम रो रहे थे तो डॉक्टरों ने मुझसे कहा कि आपको बाहर कुछ दिखाते हैं। हमने बाहर देखा कि लोग बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे थे। डॉक्टर ने बताया कि आप अकेले नहीं लड़ रहे हो आपके साथ रात-रात भर लाखों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।

परिवार रिश्तों से टूटी
इतने सालों में हमने सरकार से कुछ नहीं बस इंसाफ मांगा। मैंने कोर्ट की एक भी तारीख मिस नहीं की। परिवार रिश्ते से टूटी, पारिवारिक समारोहों को छोड़ा बस न्याय के लिए भाग दौड़ करती रही। अपने दो वकीलों के साथ कोर्ट की भाग दौड़ में समय बीतता रहा। आज छठवां जज इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं।

दोषियों के वकील और परिजनों ने किया जलील 
मैंने नहीं सोचा था कि जिन्होंने निर्भया के साथ ऐसी दरिंदगी की उनके वकील और उनके लोग हमें इतना जलील करेंगे। वे हम पर आरोप लगाते रहे कि हमें राजनीतिक पार्टियों का साथ मिला है हमें नेताओं से पैसे मिल रहे हैं। लेकिन मैं ये साफ करना चाहती हूं कि मैंने इंसाफ के लिए सरकार से कुछ नहीं मांगा। मुझे अपने ही देश में इतनी जलालत महसूस होगी ये कभी सोचा नहीं था।

..अब असली लड़ाई शुरू
मुझे लगता है कि जो भी एपी सिंह आज कर रहा है उसमें उसकी कोई गलती नहीं है हमारी कानून व्यवस्था इतनी लचर है कि वह इसी बात का फायदा उठा रहा है। लेकिन जब पहला डेथ वारंट जारी हुआ तब से हमारी असली लड़ाई शुरू हुई। इसके बाद उन्होंने अपनी तरकीबें चलनी शुरू कर दी और बार-बार फांसी को रुकवाया गया। 

तो बच गई होती कई मासूम लड़कियों की जानें
हैरानी इस बात की है कि अब तक किस बात का इंतजार हो रहा है कि उन्हें फांसी नहीं दी जा रही है। कई केस मेरे पास आए कि अपराधियों ने बलात्कार पीड़िताओं को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने आवाज उठाई तो निर्भया के जैसा हाल होगा। अगर निर्भया को उसी समय सजा मिल गई होती तो शायद कितनी मासूम लड़कियों की जान बची होती। 

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