- तिहाड़ जेल में पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को दी गई फांसी
- सात वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद चारों दोषियों को मिली सजा
- सजा पर निर्भया के माता-पिता ने खुशी का इजहार किया
नई दिल्ली : निर्भया के चारों दोषियों पवन, मुकेश, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। दोषियों को फांसी पर चढ़ाने की सात वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाले निर्भया के मात-पिता ने अपनी बेटी को न्याय मिलने पर खुशी जाहिर की और कहा कि देश में 20 मार्च को 'न्याय' दिवस' के रूप में मनाया जाना चाहिए। निर्भया के माता-पिता ने कहा कि न्याय के लिए उनका इंतजार काफी पीड़ादायक था।
चारों दोषियों की फांसी होने पर निर्भया के पिता ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा, 'न्याय के लिए हमारा इंतजार बेहद पीड़ादायी था। हम अपील करते हैं कि आज का दिन निर्भया ‘न्याय दिवस’ के तौर पर मनाया जाए।' बता दें कि शुक्रवार सुबह निर्भया के चारों दोषियों को तिहाड़ की जेल संख्या तीन में फांसी दे दी गई। दोषियों को सजा होने के बाद निर्भया की मां ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि आखिरकार उनकी बेटी को आज न्याय मिल गया। उन्होंने कहा, 'उनकी लड़ाई देश की अन्य बेटियों के लिए आगे भी जारी रहेगी।'
निर्भया की मां ने कहा, 'आज का दिन हमारी बच्चियों एवं महिलाओं के लिए है। देर से ही सही लेकिन इंसाफ मिला। मैं न्यायपालिका एवं सरकार को धन्यवाद देती हूं। हमारी अदालतों ने दोषियों के पैंतरे को खारिज किया। न्यायपालिका ने स्पष्ट कर दिया कि महिलाओं के साथ घिनौना अपराध होगा तो उन्हें सजा मिलेगी। कानून में जो कमियां हैं वह भी बाहर आईं।'
निर्भया मामेल में गुरुवार का दिन काफी महत्वपूर्ण रहा। वकील एपी सिंह ने चारों दोषियों को बचाने के लिए निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्हें हर जगह से निराशा मिली। सभी अदालतों ने दोषियों की फरियाद सुनने से इंकार कर दिया। एपी सिंह दोषियों के डेथ वारंट पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट गए। दिल्ली हाई कोर्ट ने रात 9 बजे से लेकर करीब 12 बजे तक सुनवाई की लेकिन अदालत ने दोषियों को किसी तरह से राहत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने एपी सिंह को फटकार भी लगाई। दोषियों के वकील सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से वह दस्तावेजों की फोटोकॉपी नहीं करा पाए।
दिल्ली हाई कोर्ट से निराश होने के बाद एपी सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लेकिन शीर्ष अदालत से भी उन्हें राहत नहीं मिली। इसके पहले एपी सिंह ने कोर्ट के बाहरदोषियों को फांसी न देने की अपील की। उन्होंने कहा, 'दोषियों को डोकलाम अथवा भारत-पाक सीमा पर भेज दिया जाए लेकिन उन्हें फांसी पर न चढ़ाया जाए। दोषी देश सेवा करने के लिए तैयार हैं और वह इस बारे में कोर्ट को हलफनामा देने के लिए तैयार हैं।'