गाजियाबाद : दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा में निठारी कांड का जब खुलासा हुआ तो लोगों के होश उड़ गए थे। वाकया 2006 का है, जब नोएडा के निठारी गांव में कोठी नंबर डी-5 से नरकंकालों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ था। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई और जब जांच टीम मौके पर पहुंची तो घटना की वीभत्सता को देखकर जांच अधिकारी भी हैरान रह गए थे। सीबीआई टीम को पड़ताल के दौरान मानव अंगों से भरे कई थैले मिले थे। उसी निठारी कांड में अब सीबीआई की विशेष अदातल ने सुरेंद्र कोली को 12वें मामले में भी मौत की सजा सुनाई है।
सुरेंद्र कोली नोएडा में सेक्टर-31 के पास गांव निठारी की डी-5 कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर का नौकर था, जिसे उसने 2005 में खरीदा था। पढेर का घर-परिवार चंडीगढ़ में रहता था, जबकि उसकी कंपनी नोएडा में थी। ऐसे में उसने यहीं अपना ठिकाना ना लिया और चंडीगढ़ में नौकरी कर चुके सुरेंद्र कोली को यहां बुला लिया। कोली खाना बनाने में माहिर था, खासतौर पर नॉनवेज बनाने में। वह कोठी में ही छत पर बने एक कमरे में रहने लगा। चूंकि पंढेर ज्यादातर कहीं न कहीं टूर पर ही रहता था, इसलिए कोली इस कोठी में मालिक की तरह ही रहता था।
नाले से मिले थे बच्चों, महिलाओं के कंकाल
निठारी से जब एक-एक करके बच्चे और लड़कियां गायब होने लगे तो पंढेर के पड़ोसियों को सबसे पहले कोली पर ही शक हुआ। तब लोगों ने पुलिस से शिकायत भी की थी, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें पुलिस से तब कुछ खास सहयोग नहीं मिला था। बाद में जब रेजिडेंट्स वेलफेयर के सदस्यों ने पहल की तो पंढेर के घर की टंकी में एक सड़ा हुआ हाथ मिला, जिससे लोग दंग रह गए। इसके बाद पड़ताल और बढ़ी तो तलाश और बढ़ी तो पंढेर के घर के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद किए गए। दिसंबर 2006 में इस खुलासे से लोग सकते में रह गए थे।
इसके तुरंत बाद सीबीआई ने पंढेर और कोली को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में कोली ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और कई चौंकाने वाले खुलासे भी किए। उसने पुलिस को बताय कि उसका मालिक पंढेर कई बार कॉल गर्ल को घर पर लाता था। उन्हें आते-जाते देखकर ही उसके मन में मानव अंगों को काटने की इच्छा जगी। इसके लिए वह अपने शिकार को पहले चिकनी-चुपड़ी बातों में फंसाता था और फिर धोखे से उसकी हत्या कर उसके साथ दुष्कर्म करता था। बाद में वह उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर या तो उन्हें जमीन में गाड़ देता था या ड्रेनेज में बहा देता था।
पंढेर को कोर्ट ने किया बरी
इस मामले में कोली के खिलाफ अभी 5 अन्य मामले हैं, जिनमें अदालत का फैसला आना है। इस वारदात से जुड़े तीन ऐसे मामले भी हैं, जिसमें पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलने के कारण सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। कोली जिस 12वें मामले में सजा सुनाई गई है, वह एक युवती के साथ दुष्कर्म व हत्या से जुड़ा है। इस मामले में 319 दिनों तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने शनिवार को कोली को मौत की सजा सुनाई। उस पर 1 लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि सबूतों के अभाव में पंढेर को इस मामले में बरी कर दिया गया।
बताया जा रहा है कि सजा के ऐलान के बाद सुरेंद्र कोली को वापस जेल ले जाया जा रहा था तो उसने पुलिसकर्मियों से कहा, 'मेरे नसीब में तो फांसी ही है।' निठारी कांड में दोषी को 9 सितंबर 2014 को ही मेरठ जेल में फांसी दी जानी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद उसकी फांसी टल गई थी।