- नीतीश कुमार जब से तेजस्वी के साथ आए, इस बात के कयास हैं कि वह 2024 में पीएम पद के उम्मीदवार बन सकते हैं।
- ममता बनर्जी उप राष्ट्रपति चुनाव से ही विपक्ष की गोलबंदी से दूर दिखाई दे रही हैं।
- केसीआर शरद पवार से तीसरे मोर्चे के लिए मुलाकात कर चुके हैं।
PM Candidate List: बिहार में नीतीश के पाला बदलने के बाद जैसी उम्मीद थी, अब वैसा ही होता दिखाई दे रहा है। नीतीश अब विपक्षी नेताओं के केंद्र बन रहे हैं। और इसी कड़ी में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव पटना पहुंचे। के.सी.आर तीसरे मोर्चे के लिए इसके पहले ममता बनर्जी और शरद पवार के साथ मीटिंग कर चुके हैं। और अब वह नीतीश कुमार के साथ विपक्षी एकजुटता की रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि विपक्ष की इस कवायद में ममता बनर्जी सीन से गायब दिख रही है। जब से बंगाल में शिक्षक घोटाला सामने आया है और जिस तरह पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर नोटों के ढेर मिले हैं, उसके बाद से वह अपने घर संवारने में ही फंस गई है।
नीतीश और केसीआर में कितना दम
वैसे तो आधिकारिक रूप से चंद्रशेखर राव गलवान घाटी में शहीद हुए बिहार के जवानों के परिवार के सदस्यों को 10-10 लाख रुपये और मार्च में तेलंगाना में आग लगने से मारे गए बिहार के 12 प्रवासी मजदूरों के परिवारों को भी 5-5 लाख रुपये की सहायता राशि देने आए थे। लेकिन यह मीटिंग तो बहाना था, असल में तैयारी साल 2024 की है। जिसमें दोनों नेताओं की कोशिश है कि दक्षिण और उत्तर भारत के क्षेत्रीय दल एक होकर भाजपा को चुनौती दे सकें। हालांकि यह दांव कितना कारगर होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है कि चाहे नीतीश कुमार हो या फिर चंद्रशेखर राव, इन दोनों नेताओं का अपने राज्य के अलावा दूसरे राज्य में कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में वह एक-दूसरे के लिए लोक सभा चुनावों में कितना फायदेमंद होंगे, यह कहना बड़ा मुश्किल है।
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कहां हैं ममता बनर्जी
विपक्षी एकता की बात सबसे पहले ममता बनर्जी ने शुरू की थी। और वह इसके लिए पहले कांग्रेस के दरवाजे पर गईं। लेकिन वह खुद पीएम उम्मीदवार बनाना चाहती थी। इसलिए बात नहीं बन पाई और बाद में ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर हमला शुरू किया। और बिना कांग्रेस के तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद शुरू की। इसमें शरद पवार के पास गईं और केसीआर को वह लेकर आई। लेकिन अभी यह कवायद परवान चढ़ती, इसके पहले ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव से ही दूरियां बनानी शुरू कर दी। और उप राष्ट्रपति चुनाव में तो विपक्ष से अलग हो गई। इसके बाद पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी का मामला सामने आने के बाद तो वह अपने घर को संवारने में ही फंसी दिखाई दे रही हैं। अहम बात यह है कि नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद केसीआर की मुलाकात की तरह वह अभी तक नीतीश से नहीं मिली हैं।