- बिहार में गठबंधन के भविष्य को लेकर लग रही अटकलों पर शाह ने लगाया विराम
- जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन को बताया 'अटल'
- बोले- अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा
नयी दिल्ली/पटना: जद(यू) के साथ अपनी पार्टी के गठजोड़ के भविष्य को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लगाते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि दोनों पार्टियों का गठबंधन ‘अटल’ है और अगले साल होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। शाह ने राजग के दोनों सहयोगी दलों के बीच ‘अनबन’ को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह एक ‘स्वस्थ’ गठबंधन का संकेत है।
उन्होंने ‘न्यूज 18’ समाचार चैनल से बातचीत में कहा, ‘गठबंधन अटल है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगा। राष्ट्रीय स्तर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गठबंधन का नेतृत्व करना जारी रखेंगे।’ शाह का यह बयान ऐसे समय आया है, जब राज्य में भाजपा और जद (यू) के बीच मतभेद की अटकलें लगाई जा रही थीं।
दरअसल, उनसे पूछा गया था कि अगले साल बिहार में होने वाला विधानसभा चुनाव क्या भाजपा अकेले लड़ने पर विचार कर रही है। उल्लेखनीय है कि कई मुद्दों को लेकर भाजपा नेता गिरिराज सिंह एवं भगवा पार्टी के अन्य नेता कुमार की आलोचना करते रहे हैं। हाल ही में भारी बारिश के चलते पटना के कई हिस्सों में हुए अभूतपूर्व जलजमाव को लेकर भी कुमार भाजपा नेताओं के निशाने पर रहे थे।
कुछ समय पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता संजय पासवान ने यह कह कर विवाद छेड़ दिया था कि कुमार को अब (मुख्यमंत्री पद पर) भाजपा के किसी नेता का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। जद (यू) नेताओं ने भी भाजपा नेताओं की आलोचना पर पलटवार किया।
शाह ने गठबंधन में असहजता को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि ‘अनबन’ स्वस्थ गठबंधन का संकेत है। उन्होंने कहा, 'यह स्वाभाविक है कि स्थानीय स्तर पर कुछ मतभेद उभरें और यह एक स्वस्थ गठबंधन का संकेत है। ‘बस मतभेद को मनभेद में नहीं बदलना चाहिए।’ जद(यू) नेताओं ने शाह की घोषणा का स्वागत करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया।
हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री के ताजा बयान से महागठबंधन में निराशा पैदा हो सकती है, जो राजग में टूट की उम्मीद कर रहा था। महागठबंधन के नेताओं का मानना था कि कुमार लगातार तीन कार्यकाल मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन मोदी और शाह के आक्रामक नेतृत्व के तहत भाजपा बिहार में प्रभाव बढ़ाने की योजना बना रही है।
जद(यू) के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्य में मंत्री श्याम रजक ने शाह की इस घोषणा को लेकर उनका शुक्रिया अदा करते हुए ट्वीट किया, 'मैं भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव नीतीश जी के नेतृत्व में लड़ने की बात कह कर कुछ लोगों की शंका को दूर करने का काम किया है। विपक्ष, जो इन बातों पर आनंद ले रहा था, यह उनके मुंह पर तमाचा है।'
उन्होंने कहा, 'जो भी जदयू-भाजपा गठबंधन को तोड़ने का प्रयास करेगा, वह खुद टूट जाएगा। मगर इस गठबंधन पर कोई आंच नहीं आएगी। हमारा गठबंधन मजबूत था और आगे भी रहेगा। क्योंकि विचारों के आधार पर हमारा गठबंधन है और यह विचार है बिहार की 12 करोड़ जनता का विकास, जिसमें हम लगे हुए हैं।' कई मुद्दों पर हाल ही में अपनी पार्टी की आलोचना करने वाले जद(यू) के असंतुष्ट नेता अजय आलोक ने भी ट्वीट कर कहा, “अमित शाह जी का यह बयान राजग को चट्टानी मज़बूती देगा और उन लोगों को निराशा होगी, जो बिल्ली के भाग्य से छींका फूटने की राह देख रहे थे...।'
शाह की इस घोषणा से राहत की सांस लेते नजर आ रहे केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा, 'हमने हमेशा ही कहा है कि राजग में नेतृत्व को लेकर कोई भ्रम नहीं है।' पासवान की पार्टी लोजपा भी राजग में शामिल है। उन्होंने समस्तीपुर में कहा, ' जाइए और विपक्ष से पूछिये कि इस बारे में उनका क्या कहना है क्योंकि उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है।'
उल्लेखनीय है कि राजग ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की कुल 40 सीटों में 39 पर जीत दर्ज की थी। भाजपा और लोजपा ने क्रमश: 17 और छह सीटें जीती थी जबकि जद(यू) ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी। आम चुनाव में राजग को मिली शानदार जीत के शीघ्र बाद कुमार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में पार्टी से सिर्फ एक मंत्री बनाये जाने के प्रस्ताव को तवज्जो नहीं दी थी। बाद में, कुमार ने राज्य में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और इसमें जद (यू) के कुछ नेताओं को मंत्री बनाया।
जद(यू) ने तीन तलाक विधेयक जैसे नरेंद्र मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी विधेयकों का विरोध किया था। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के मुद्दे पर नीतीश कुमार नीत पार्टी के विरोध ने दोनों दलों के बीच असहजता और बढ़ा दी थी।