- ट्विन टावर के आस-पास बने घरों को नुकसान पहुंचने का था डर
- विस्फोट के बाद अंदर की ओर भागे थे वहां मौजूद इंजीनियर
- एक सोसाइटी की बाउंड्री को हुआ है थोड़ा सा नुकसान
नोएडा का विवादित ट्विन टावर गिराया जा चुका है। 300 करोड़ की लागत से खड़ा हुआ यह भ्रष्टाचार का मीनार अब धूल में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसे धवस्त करना इतना आसान नहीं था। महीनों से इसे गिराने के लिए इंजीनियरों की एक एक्सपर्ट टीम मेहनत कर रही थी।
इस टावर को गिराना तो बहुत आसान था, लेकिन सबसे ज्यादा चुनौती थी कि ब्लास्ट का असर आसपास बने घरों पर न पड़े, विस्फोट के बाद टावर का मलवा सीधे ही नीचे गिरे न कि आसपास के घरों पर। इसी डर को लेकर इंजीनियरों की टीम जिसकी अगुवाई चेतना दत्ता कर रहे थे, सबसे ज्यादा डरे हुए थे। चेतन दत्ता ने ही वो बटन दबाया था, जिसके बाद इस टावर में विस्फोट हुआ।
जैसे ही बिल्डिंग में विस्फोट हुआ, टावर गिरा, वहां मौजूद चेतन दत्ता और उनकी टीम उसका असर जानने के लिए अंदर की ओर भागी। अंदर का नजारा देख चेतन दत्ता रो पड़े थे, साथ ही उनकी आंखों में भी आंसू था जो उनके साथ अंदर भागे थे।
चेतन दत्ता ने विस्फोट के बाद टाइम्स नाउ से बात करते हुए कहा- "सबसे ज्यादा चिंता एमराल्ड कोर्ट की थी वो पूरी तरह से सुरक्षित है। सामने जो एटीएस विलेज है उसकी सिर्फ और सिर्फ 5 से सात मीटर का कम्पाउंड की दीवार को नुकसान पहुंचा है। बाकी सबकुछ सही हुआ है। जैसा प्लान किया गया था वैसा ही हुआ है। सड़क पर भी मलबा नहीं आया है...। बटन के पुश करने के बाद एक शोर सुना और आंखों के सामने धूल ही धूल दिखा। हम वहां पांच लोग थे, पांचों वहां से भागते हुए अंदर गए और सब चेक करने के बाद रोने और गले मिलने लगे।"
वहीं एएनआई से बात करते हुए चेतन दत्ता ने कहा- "मैं इमारत से सिर्फ 70 मीटर दूर था। कार्ट शत-प्रतिशत सफल रहा। पूरी बिल्डिंग को गिराने में 9-10 सेकेंड का समय लगा। मेरी टीम में 10 लोग थे जिसमें सात 7 विदेशी विशेषज्ञ थे।"
बता दें कि इस टावर को गिराने से पहले आसपास के घरों को खाली करवा दिया गया था। उन बिल्डिगों को कवर कर दिया गया था, जिधर इसका मलबा गिर सकता था।