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इस वजह से ट्रस्ट से बाहर हुए महंत नृत्य गोपाल दास! राम मंदिर निर्माण के लिए हुआ है न्यास का गठन   

Updated Feb 07, 2020 | 09:27 IST

Nritya Gopal Das: सरकार को अंदेशा था कि ट्रस्ट में महंत को शामिल करने से विवाद हो सकता है। मुस्लिम पक्ष इसे लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है और इससे मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में देरी हो सकती है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार ने किया है ट्रस्ट का गठन।
मुख्य बातें
  • अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए न्यास का हुआ है गठन
  • ट्रस्ट के सदस्य के रूप में महंत नृत्य गोपाल दास का नाम नहीं है शामिल
  • ट्रस्ट में अभी तक नौ नामों की हुई है घोषणा, ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे

नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नाम से ट्रस्ट बना दी है और इस ट्रस्ट में 15 सदस्य हैं। ट्रस्ट में नौ स्थाई और 6 सदस्य नामित होंगे। वरिष्ठ वकील के पारासरन को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया है। पारासरन अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट में राम लाल विराजमान का पक्ष रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 के अपने ऐतिहासिक फैसले में 2.77 एकड़ विवादित जमीन राम लला विराजमान को ही दिया है। 

इस ट्रस्ट के स्थायी सदस्यों में श्रीराम जन्मभूमि न्यास के महंत नृत्य गोपाल दास का नाम शामिल नहीं है। समझा जा रहा था कि राम मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट में महंत नृत्य गोपाल दास को भी शामिल किया जाएगा लेकिन सरकार ने दास को ट्रस्ट से बाहर रखा है। बताया जा रहा है कि नृत्य गोपाल दास को ट्रस्ट में शामिल करने की बात चल रही थी लेकिन यह फैसला अंतिम समय में टाल दिया गया। दास के ट्रस्ट में शामिल न करने के पीछे मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि विवादित ढांचा विध्वंस से जुड़े मुकदमे में महंत नृत्य गोपाल दास आरोपी हैं। बताया जा रहा है कि ट्रस्ट में महंत दास को शामिल नहीं करने पर वह नाराज हैं।

सरकार को थी विवाद की आशंका
सरकार को अंदेशा था कि ट्रस्ट में महंत को शामिल करने से विवाद हो सकता है। मुस्लिम पक्ष इसे लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है और इससे मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में देरी हो सकती है। इसे देखते हुए सरकार ने ट्रस्ट के स्थायी सदस्यों में महंत का नाम शामिल नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि ट्रस्ट में महंत के शामिल होने का रास्ता पूरी तरह बंद नहीं हुआ है। ट्रस्ट में अभी दो सदस्यों के पद खाली हैं। इन दो पदों पर सदस्यों के चयन का अधिकार ट्रस्ट के पास है। ट्रस्ट बहुमत के आधार पर इन पदों पर किसी का चयन कर सकता है।

ट्रस्ट में ये हैं शामिल
सरकार ने ट्रस्ट के जिन नौ सदस्यों के नामों की घोषणा की है, वे इस प्रकार हैं-के परासरन, कामेश्वर चौपाल, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज, बिलेंद्र मोहन मिश्र, डॉ. अनिल मिश्र, स्वामी परमानंद महाराज, महंत दिनेंद्रदास, स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज,  जगतगुरु माधवाचार्य। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए यह ट्रस्ट स्वायत्त होगा और इसमें सरकार या किसी संस्था का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। सरकार ने मंदिर निर्माण से संबंधित कार्यों को संपन्न करने के लिए ट्रस्ट को पूरी आजादी दी है। 

तीर्थ नगरी के रूप में होगा विकास
श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या का विकास एक तीर्थ नगरी के रूप में करेगा। इस नगरी के विकास में आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं एवं आधुनिक सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया जाएगा। अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण को देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों भक्तों के यहां पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। मंदिर के आस पास पार्किंग स्थल, आवासीय परिसर, खाने-पीने का इंतजाम और सुरक्षा प्रमुख है। ट्रस्ट इन सब बातों का भी ध्यान रखेगा।

नाराज हैं महंत दास
ऐसी चर्चा है कि नए ट्रस्ट में शामिल नहीं किए जाने से महंत नाराज हैं। इसके बाद भाजपा नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की है।  भाजपा ने अयोध्या से विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय और अयोध्या महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा को मणि रामदास को मंदिर भेजा। हालांकि संतों ने नेताओं को प्रवेश ही नहीं दिया जिसके बाद उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। गुप्ता ने बताया कि उन्होंने महंत और गृह मंत्री अमित शाह के बीच फोन पर बात करने की व्यवस्था की। उन्होंने दावा किया कि ट्रस्ट में तीन पद अभी खाली हैं और महंत को उसमें शामिल किया जाएगा। इससे पहले महंत ने कहा था कि जिन्होंने मंदिर अभियान के लिए जीवन अर्पित कर दिया, उनकी उपेक्षा हुई है।

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