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'नहीं, चीन के साथ सामान्‍य नहीं हैं हमारे रिश्‍ते', वांग यी से मुलाकात के बाद बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

Updated Mar 25, 2022 | 16:18 IST

विदेश मंत्री एस जशंकर की उनके चीनी समकक्ष के साथ लगभग तीन घंटे लंबी बातचीत हुई, जिस दौरान उन्‍होंने पूर्वी लद्दाख में LAC पर तनाव से द्विपक्षीय संबंधों पर हुए असर के साथ-साथ अफगानिस्‍तान और यूक्रेन के मसले पर भी चर्चा की।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
'नहीं, चीन के साथ सामान्‍य नहीं हैं हमारे रिश्‍ते', वांग यी से मुलाकात के बाद बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

नई दिल्ली : पाकिस्‍तान में आयोजित इस्‍लामिक सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्र‍ियों की बैठक में हिस्‍सा लेने के बाद अफगानिस्‍तान और फिर भारत के दौरे पर पहुंचे चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर की लंबी बातचीत हुई। चीन के विदेश मंत्री के भारत दौरे के बाद यह भी सवाल उठ रहा है कि क्‍या दोनों देशों के बीच संबंध सामान्‍य हो चले हैं, जो पूर्वी लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्‍य झड़प के बाद तनापूर्ण हो गया था?

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऐसे तमाम सवालों के जवाब दिए हैं और यह भी बताया कि अपने चीनी समकक्ष के साथ हैदराबाद हाउस में उन्‍होंने किन मसलों पर करीब तीन घंटे लंबी बातचीत की। चीन के साथ संबंधों को लेकर उन्‍होंने साफ कहा कि यह अभी सामान्‍य नहीं है। उन्‍होंने दो टूक कहा, सीमा पर जिस तरह से दोनों ओर से बड़ी संख्‍या में सैन्‍य तैनाती है, वह 1993-96 के समझौतों का उल्‍लंघन है और इस तरह देखा जाए तो चीन के साथ इस वक्‍त हमारे संबंध सामान्‍य नहीं हैं।

'चीनी एक्‍शन के कारण द्विपक्षीय संबंधों पर असर'

पूर्वी लद्दाख में LAC पर गतिरोध का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि चीनी समकक्ष से बातचीत के दौरान उन्‍होंने इस मसले पर पूरी ईमानदारी के साथ अपनी बात रखी। उन्‍होंने साफ कहा कि अप्रैल 2020 से चीनी कार्रवाई के कारण द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हुए हैं और उन्‍होंने इस पर भी चर्चा की। विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्ण माहौल बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इस दिशा में काम हो रहे हैं, पर इसकी गति बहुत धीमी है, जिसमें तेजी लाने की जरूरत है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी की अफगानिस्तान, यूक्रेन सहित अन्‍य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मसलों पर भी बातचीत हुई। अफगानिस्‍तान के मसले पर भारत की नीति को स्‍पष्‍ट करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, जहां तक ​​अफगानिस्तान का संबंध है, भारत की नीति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 द्वारा निर्देशित है। यूक्रेन पर हमने अपने-अपने दृष्टिकोण और परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की, लेकिन इस पर सहमति जताई कि कूटनीति व बातचीत को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

LAC पर दो साल से बना है गतिरोध

यहां गौर हो कि पूर्वी लद्दाख में लगभग दो साल पहले शुरू हुए सैन्य गतिरोध के कारण दोनों देशों के संबंधों में आए तनाव के बाद चीन की ओर से यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा रही। चीन के विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार शाम दिल्ली पहुंचे, जहां शुक्रवार को उनकी राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ-साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बातचीत हुई। पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देश कूटनीतिक स्‍तर पर एक-दूसरे के संपर्क में बने हुए हैं तो सैन्‍य स्‍तर की बातचीत भी हो रही है।

पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच 15 दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता हो चुकी है। हालांकि अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। पैंगोंग झील इलाके में भारत और चीन की सेनाओं में झड़प के बाद गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को हिंसक टकराव हुआ था, जिसके बाद आपसी तनाव चरम पर पहुंच गया। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए तो चीन के कई सैनिक भी मारे गए थे। इसके बाद दोनों पक्षों ने वहां हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती की, जो अब भी बरकरार है। संघर्ष वाले क्षेत्र में LAC पर दोनों ओर से लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।

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