नई दिल्ली/लखनऊ : उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रोधी अध्यादेश को लागू किए लगभग एक महीना हो चुका है। इस कानून के तहत अब तक लगभग 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और इस लिहाज से रोजाना एक से व्यक्ति की गिरफ्तारी इसके तहत हो रही है। सरकार जहां इस कानून का पुरजोर तरीके से बचाव कर रही है और इसे आवश्यक मानती है, वहीं इसका व्यापक पैमाने पर विरोध भी हो रहा है। देश के 100 से अधिक पूर्व आईएएस अधिकारियों ने इसे लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा और इसे तत्काल वापस लिए जाने की मांग की।
इस कानून का विरोध करते हुए जिन 104 पूर्व आईएएस अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है, उनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि जिस यूपी की पहचान कभी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए थी, वह इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद अब 'घृणा की राजनीति, विभाजन और धार्मिक कट्टरता का केंद्र' बन गया है।
पत्र में मुरादाबाद की घटना का भी जिक्र
पत्र में मुरादाबाद की हालिया घटना का भी जिक्र किया गया और कहा गया है कि इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें निर्दोषों को परेशान किया गया। पूर्व आईएएस अधिकारियों ने सीएम योगी को लिखी इस चिट्ठी में इस कानून को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि यूपी के मुरादाबाद में कुछ दिनों पहले बजरंग दल के कुछ लोगों ने एक जोड़े को रजिस्ट्रार ऑफिस से पकड़ लिया था और यह बोलकर पुलिस को सौंप दिया था कि युवती का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। हालांकि युवती ने बार-बार पुलिस में बयान दिया कि यह शादी उसने अपनी मर्जी से की है। युवती ने बाद में प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि इसके कारण उसका गर्भपात हो गया। पूर्व अधकारियों का कहना है कि पूरे मामले में पुलिस जिस तरह मूकदर्शक बनी रही, वह माफी के लायक नहीं है।