- संघ प्रमुख भागवत ने कहा था- लिंचिंग करने वाले हिन्दुत्व के खिलाफ हैं
- भागवत के बयान पर ओवैसी ने किया पलटवार
- ओवैसी ने कहा कायरता, हिंसा करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का हिस्सा
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी देश में लिंचिंग की घटनाओं पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए बयान पर विवादास्पद टिप्पणी की है। ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा कि कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोंच का अटूट हिस्सा है।
ओवैसी के ट्वीट
ओवैसी ने एक के बाद एक तीन ट्वीट किए और कहा, 'RSS के भागवत ने कहा "लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी"। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फ़र्क़ नहीं पता होगा लेकिन क़त्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है। केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है, जहाँ भाजपा का प्रवक्ता पूछता है कि "क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?'
अपने अंतिम ट्वीट में ओवैसी ने लिखा, 'कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का अटूट हिस्सा है। मुसलमानो की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है।' आपको बता दें कि रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को ‘डर के इस चक्र में’ नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है।
क्या कहा था भागवत ने
आरएसएस प्रमुख ने लिंचिंग (पीटकर मार डालने) की घटनाओं में शामिल लोगों पर हमला बोलते हुए कहा, ‘वे हिन्दुत्व के खिलाफ हैं।’ हालांकि, उन्होंने कहा कि लोगों के खिलाफ लिंचिंग के कुछ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। भागवत ने कहा, ‘भय के इस चक्र में न फंसें कि भारत में इस्लाम खतरे में है।’ उन्होंने कहा कि देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं है। आरएसएस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों का गौरव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान ‘संवाद’ है, न कि ‘विसंवाद’।