लंदन : कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए दुनियाभर में वैक्सीन को लेकर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया की नजरें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका पर टिकी हैं, जिसके वैक्सीन को 70 प्रतिशत तक प्रभावी बताया जा रहा है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का यह भी कहना है कि 'वन डोजिंग रेजिम' के अंतर्गत यह 90 प्रतिशत तक प्रभावी हो सकता है। अमेरिका और ब्राजील में किए गए अध्ययनों के आधार पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फर्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यह दावा किया है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से सोमवार को जारी बयान में कहा गया है, 'फेज-3 के अंतरिम विश्लेषण में 131 कोरोना केस शामिल किए गए, जिसमें दो डोजिंग रेजिम में यह वैक्सीन 70.4 प्रतिशत तक प्रभावी पाया गया। दो अलग-अलग डोज रेजिम में इसका परीक्षण किया गया, जिनमें से एक में इसे 90 फीसदी तक प्रभावी पाया गया, जबकि दूसरे में यह 62 तक प्रभावी रहा। शुरुआती संकेत बताते हैं कि एसिम्प्टोमैटिक संक्रमण में वैक्सीन वायरस के संचरण को कम कर सकता है।'
तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजों का इंतजार
ऑक्सफोर्ड की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि जिन लोगों को वैक्सीन लगाई गई, उनमें से किसी को भी अस्पताल में भर्ती नहीं कराना पड़ा या उनमें कोई गंभीर मसला सामने नहीं आया। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका को फिलहाल वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के अंतिम नतीजों का इंतजार है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर में हजारों लोगों पर किया गया है। अब तक के अध्ययन इसे प्रभावी वैक्सीन बताते हैं। माना जा रहा है कि इससे बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकेगी।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन के प्रभावी होने के संबंध में यह जानकारी ऐसे समय में आई है, जबकि अभी हाल ही में दो अन्य दवा कंपनियों फाइजर और मॉडर्ना ने अंतिम चरण के ट्रायल्स के शुरुआती परिणामों का हवाला देते हुए अपने द्वारा विकसित वैक्सीन को 95 प्रतिशत तक प्रभावी बताया है।