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कोविड-19 फंड में SAARC के छोटे देशों ने दिखाई दरियादिली, पाकिस्तान की जेब से 1 रुपया भी नहीं निकला 

Updated Mar 27, 2020 | 13:49 IST

सूत्रों की मानें तो इस फंड में पाकिस्तान को छोड़कर सभी देशों ने अपनी तरफ से योगदान दिया है। भारत ने इस फंड के लिए 10 मिलियन डॉलर की राशि दी है। सार्क के छोटे-छोटे देशों ने भी अपनी हैसियत के हिसाब से मदद की है।

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कोरोना पर बने फंड में पाकिस्तान ने नहीं की है मदद।
मुख्य बातें
  • कोरोनो वायरस की चपेट में आए सार्क देशों की मदद के लिए बना है फंड
  • सार्क के छोटे देशों नेपाल, मालदीव, बांग्लादेश ने दिया है फंड में योगदान
  • भारत ने इस फंड में की है 10 मिलियन डॉलर की मदद, पाक ने नहीं की मदद

नई दिल्ली : पाकिस्तान की दकियानूसी एवं संकीर्ण सोच से दुनिया एक बार फिर वाकिफ हो रही है। पूरा विश्व इस समय कोरोना वायरस के प्रकोप से लड़ने के लिए एक-दूसरे से कंधा मिलाकर और मिलजुलकर काम कर रहा है लेकिन पाकिस्तान को इससे फर्क नहीं पड़ता। कठिन दौर में भी वह अपनी नापाक सोच से ऊपर नहीं ऊपर नहीं उठ पाया है। दरअसल, कोरोना वायरस के खतरे से लड़ने के लिए हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सार्क देशों की एक बैठक हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के खतरे से लड़ने और सार्क देशों की मदद के लिए कोविड-19 इमरजेंसी फंड बनाने की बात कही। 

सूत्रों की मानें तो इस फंड में पाकिस्तान को छोड़कर सभी देशों ने अपनी तरफ से योगदान दिया है। भारत ने इस फंड के लिए 10 मिलियन डॉलर की राशि दी है। यहां तक कि सार्क के छोटे-छोटे देशों ने भी अपनी हैसियत के हिसाब से इस फंड में अपना योगदान दिया है। बताया जा रहा है कि इस फंड में अब तक करीब 20  मिलियन डॉलर से ज्यादा की राशि जमा हो गई है। वैश्विक संकट पर छोटे-बड़े देश सभी एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान अपनी 'ओछी मानसिकता' का परिचय देने के लिए कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देता। उसने इस फंड में एक पैसे का भी योगदान नहीं दिया है।

15 मार्च को हुई थी बैठक
ध्यान देने वाली बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर यह बैठक गत 15 मार्च को कोरोना वायरस के खिलाफ रणनीति तैयार करने के लिए हुई थी। इस बैठक में सार्क के सभी देशों ने वायरस के प्रकोप से बचने के लिए अपने सुझाव दिए और एक-दूसरे की मदद करने की भावना जताई। लेकिन पाकिस्तान के मन में कुछ और चल रहा था। मौका मिलते ही उसने इस वैश्विक मंच का एक बार फिर गलत इस्तेमाल किया। कोरोना वायरस पर होने वाली इस बैठक में उसने कश्मीर का मुद्दा उठाया। यही नहीं इस बैठक में जहां सार्क देशों के सभी राष्ट्रध्यक्ष शामिल हुए वहीं पाकिस्तान की तरफ से स्वास्थ्य पर प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सहायक जफर मिर्जा शरीक हुए। 

खुद कोरोना वायरस की चपेट में है पाक
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सार्क के देशों ने जो गंभीरता एवं प्रतिबद्धता दिखाई है वह पाकिस्तान में देखने को नहीं मिली। पाकिस्तान केवल अपने बारे में सोचता है। इसका एक ताजा तरीन उदाहरण खुद उसके यहां देखने को मिला है। ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान कोरोना वायरस की चपेट में नहीं है। इस वायरस ने उसे भी अपनी गिरफ्त में लिया है। पाकिस्तान में कोरोना वायरस से संक्रमण के एक हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इस बीमारी से उसके यहां आठ लोगों की मौत हुई है। 

कोरोना मरीजों को पहुंचा रहा पीओके
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान अपने ही नागरिकों में भेद करने लगा है। दरअसल, पंजाब प्रांत में सामने आए कोरोना मरीजों को वह अपने कब्जे वाले पीओके और गिलगिट में वाहनों में भरकर पहुंचा रहा है। इन इलाकों में उसने क्वरेंटाइन कैंप बनाए हैं। पाकिस्तानी सेना के इस कदम से पीओके और गिलगित के स्थानीय लोग दहशत में हैं। लोगों को आशंका है कि इससे उनके यहां महामारी फैल जाएगी। पीओके और गिलगिट क्षेत्र में पहले से ही चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। यहां के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान उनका इस्तेमाल कूड़ेदान के रूप में कर रहा है।

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