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- पिछले दो साल से पाकिस्तान ने भारतीय अधिकारियों के लिए वीजा जारी नहीं किया है
- यह तब है जब दोनों देशों ने अपने उच्चायोगों में तैनात कर्मियों की संख्या आधी कर दी है
- पांच अगस्त 2019 के भारत सरकार के फैसले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट
नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनातनी के नए दौर की शुरुआत हो सकती है। दरअसल, राजयनिकयों के लिए वीजा जारी करने पर बने गतिरोध एवं मतभेदों को देखते हुए भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग में तैनात अपने कुछ कर्मियों को वापस बुला लिया है। रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान भारतीय राजनयिकों एवं दूतावास के अन्य कर्मियों को वहां काम करने की इजाजत देने वाला वीजा जारी करने में आना-कानी कर रहा है। पाकिस्तान का यह रवैया तब है जब भारत वीजा के लिए उससे कई बार अनुरोध कर चुका है।
दो वर्षों में अधिकारियों के लिए वीजा जारी नहीं किया
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक यह बात सामने आई है कि कुछ मौकों को छोड़कर पाकिस्तान ने पिछले दो वर्षों में भारतीय अधिकारियों के लिए कोई वीजा जारी नहीं किया है। पाकिस्तान ने पिछले साल भारतीय चार्ज डि अफेयर्स सुरेश कुमार की नियुक्ति को मंजूरी दी थी लेकिन उसने जयंत खोबरागड़े को वीजा देने से इंकार कर दिया। इस्लामाबाद का कहना है कि दोनों देशों के राजनयिक संबंधों को कमतर किया गया है ऐसे में उच्चायोग की जिम्मेदारी संभालने के लिए खोबरगाड़े काफी वरिष्ठ प्रमुख होंगे।
भारतीय अधिकारियों के पास कोई विकल्प नहीं
देशों के राजनयिक एक दूसरे के यहां असाइनमेंट वीजा पर करते हैं और इसे जारी करने में थोड़ा वक्त लगता है। लेकिन भारत ने इसके लिए पाकिस्तान से बार-बार अनुरोध किया है लेकिन उसकी तरफ से इस दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है। इसे देखते हुए भारतीय अधिकारियों के पास वापस लौटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं दिख रहा है क्योंकि वीजा के लिए वे लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकते। इन अधिकारियों को दूसरे अधिकारियों की जगह लेनी है।
उच्चायोग के कामकाज पर असर पड़ सकता है
समझा जाता है कि भारतीय राजनयिकों की वापस के बाद उच्चायोग के प्रतिदिन के कामकाज पर असर पड़ सकता है। पिछले साल दोनों देशों ने अपने उच्चायोगों में तैनात कर्मियों की संख्या घटाकर आधी कर दी। दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों में कड़वाहट जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आया है। भारत ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया। साथ ही जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दे दिया।