- अप्रैल में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 28 आतंकवादी मारे गए जबकि तीन मई तक चार आतंकी ढेर हुए
- हंदवाड़ा के मुठभेड़ में देश को कर्नल, मेजर सहित पांच जवानों को शहादत भी देखनी पड़ी
- हिज्बुल के कमांडर रियाज नाइकू का मारा जाना सुरक्षाबलों की एक बड़ी कामयाबी
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां एक बार फिर सिर उठाने लगी हैं। पिछले कुछ दिनों में कई आतंकी मारे गए हैं और इनसे लोहा लेते हुए सुरक्षाबलों की शहादत हुई है। सेना के ऑपरेशन 'ऑल आउट' और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में आतंकवादी गतिविधियों में उल्लंखनीय कमी आई है लेकिन मौसम बदलने के बाद ही आतंकवादी एक बार फिर निर्दोष लोगों एवं सुरक्षाबलों को निशाना बनाने लगे हैं।
इसे इस बात से समझा जा सकता है कि अकेले अप्रैल में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 28 आतंकवादी मारे गए जबकि तीन मई तक चार आतंकी ढेर हुए।
हंदवाड़ा में पांच जवान शहीद
हंदवाड़ा के मुठभेड़ में देश को कर्नल, मेजर सहित पांच जवानों को शहादत भी देखनी पड़ी है। कश्मीर में आतंकवाद के इस खूनी खेल के पीछे कौन है यह सभी को पता है। कश्मीर पर हर मोर्चे पर नाकाम हो चुका पाकिस्तान अपनी गलतियों से सबक सीखने के लिए तैयार नहीं है।
वह बार-बार गलतियां कर रहा है और इसके लिए उसे सजा भी मिल रही है लेकिन अब ऐसा लगता है कि भारतीय सेना को उसका कारगर इलाज करने का ज्यादा असरदार तरीका आजमाना होगा। छह मई को पुलवामा में सुरक्षाबलों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी। यहां मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने हिज्बुल के कमांडर रियाज नाइकू को ढेर कर दिया। रियाज करीब 20 हत्याओं में शामिल था और उस पर 12 लाख रुपए का इनाम घोषित था।
रियाज का मारा जाना सुरक्षाबलों की एक बड़ी कामयाबी
रियाज का मारा जाना सुरक्षाबलों की एक बड़ी कामयाबी है। उसके मारे जाने से दक्षिण कश्मीर में हिज्बुल का चेहरा खत्म हो गया है। यह कार्रवाई आतंकियों की कमर तोड़ने वाली है लेकिन इतना भर काफी नहीं है। सुरक्षाबलों को आतंकियों के स्लीपर सेल और उन्हें पनाह देने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी।
बुरहान वानी, जाकिर मूसा और रियाज नाइकू आगे पैदा न हों, इसके लिए प्रभावी रणनीति बनानी होगी। अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में सुरक्षा काफी कड़ी कर दी गई और संचार व्यवस्था ठप कर दिया गया। इसका नतीजा भी देखने को मिला। आतंक की गतिविधियां करीब-करीब बंद हो गईं। घाटी में शांति व्यवस्था का दौर लाने में सेना के साथ-साथ सरकार के कदम भी काम लाए।
पाक रच रहा है भारत को लहुलूहान करने के लिए कुचक्र
जम्मू-कश्मीर में हालात सुधरने के बाद वहां लगे प्रतिबंधों में सरकार ने ढील दी। नजरबंद नेताओं की रिहाई हुई। सरकार ने यहां विकास कार्यों को गति देते हुए लोगों एवं स्थानीय नेताओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई कदम उठाए हैं। जाहिर है कि जम्मू-कश्मीर में पटरी पर लौटता जनजीवन पाकिस्तान को रास नहीं आया है।
गत पांच अगस्त के बाद उसने कश्मीर मसले को दुनिया के सभी मंचों पर उठाया लेकिन किसी भी देश को उसकी बात पर भरोसा नहीं हुआ। उसका झूठ एवं प्रोपगैंडा हर जगह नाकाम हो गया। अब वह एक बार फिर भारत को लहुलूहान करने के लिए कुचक्र रचने लगा है।
सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तानी सेना एलओसी पर सीजफायर का लगातार उल्लंघन कर रही है। वह अपने भाड़े के आतंकियों को घाटी में भेजकर नए सिरे से हिंसा एवं आतंकवाद का खेल शुरू करना चाहता है।
उसके नापाक मंसूबों को ध्वस्त करने के लिए भारत को पहले से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। आने वाले समय में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां की सेना कश्मीर में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने के लिए खतरनाक साजिशें रच सकते हैं।