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संसदीय समिति के सामने आज फेसबुक, गूगल की पेशी, शशि थरूर पूछेंगे सवाल 

Updated Jun 29, 2021 | 09:49 IST

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए संसदीय समिति मंगलवार को गूगल और फेसबुक के अधिकारियों के साथ बैठक कर रही है। समिति के समक्ष ट्विटर पहले ही पेश हो चुकी है।

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संसदीय समिति के सामने आज फेसबुक, गूगल की पेशी।
मुख्य बातें
  • सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति के सामने पेश होंगे गूगल, फेसबुक के अधिकारी
  • नागरिकों की सुरक्षा और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के गलत इस्तेमाल पर होगी चर्चा
  • समिति के सामने ट्विटर पहले ही पेश हो चुका है, आईटी विभाग के नए नियमों पर है तनातनी

नई दिल्ली : सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति के समक्ष मंगलवार को गूगल और फेसबुक इंडिया के अधिकारियों की पेशी होगी। कांग्रेस नेता शशि थरूर की अगुवाई वाली समिति सोशल मीडिया पर लोगों के अधिकारों की सुरक्षा कैसे की जाए और इन प्लेटफॉर्मों के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिया क्या किया जाना चाहिए, समिति इस बारे में अधिकारियों की राय सुनेगी।  

समिति के समक्ष पेश हो चुके हैं ट्विटर के अधिकारी
ट्विटर के अधिकारी करीब 10 दिन पहले इस संसदीय समिति के समक्ष पेश हो चुके हैं। इस बैठक में अधिकारियों ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के नए नियमों पर चर्चा की और अपने प्लेटफॉर्म के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने के उपायों के बारे में उसे बताया। रिपोर्टों के मुताबिक बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि क्या ट्विटर पर पोस्ट किए जा रहे कंटेंट देश के कानून के हिसाब से हैं कि नहीं। ट्विटर की ओर से पेश वकील आयुषी कपूर एवं अन्य अधिकारी शगुफ्ता कामरान ने समिति को बताया कि ट्विटर अपने नियमों का अनुसरण करता है। इस पर समिति ने उन्हें बताया कि देश का कानून 'सर्वोपरि' है और कंपनी को इसका पालन करना होगा। 

आईटी विभाग के नए नियमों पर सरकार-ट्विटर के बीच तकरार
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के नए नियमों का पालन करने को लेकर ट्विटर और आईटी विभाग के बीच तकरार चल रही है। सरकार का कहना है कि नागरिकों एवं सरकार के हितों की सुरक्षा के लिए ये नियम लाए गए हैं लेकिन ट्विटर आईटी विभाग के नए नियम का पालन करने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है। ट्विटर का कहना है कि वह अपने अमेरिकी नियमों का पालन करेगा। गत शुक्रवार को ट्विटर ने एक घंटे के लिए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का अकाउंट बंद कर दिया। ट्विटर का कहना था कि केंद्रीय मंत्री के एक पोस्ट ने कॉपी राइट मामले का उल्लंघन किया जिसके बाद उसने प्रतिबंध लगाया। 

'कानूनी संरक्षण' का दर्जा खो चुका है ट्विटर
भारत में ट्विटर 'कानूनी संरक्षण' का दर्जा खो चुका है। दरअसल, आईटी विभाग के नए नियमों का पालन नहीं करने पर सरकार ने उसका इंटरमेडियरी स्टेट्स का दर्जा समाप्त किया है। अब ट्विटर पर पोस्ट होने वाली आपत्तिजनक सामग्री के लिए सरकार सीधे तौर पर उसे जिम्मेदार ठहरा सकेगी। पहले उसे इंटरमेडियरी स्टेट्स के जरिए 'कानूनी संरक्षण' मिला हुआ था। यानि कि किसी भड़काऊ, हिंसक पोस्ट के लिए ट्विटर को सीधे तौर पर पक्ष नहीं बनाया जाता था। 
 
वेंकैया नायडू के अकाउंट से ब्लू टिक हटाया
सरकार और ट्विटर के बीच खींचतान गत 26 जनवरी के दिन लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से चल रही है। सरकार ने हिंसा भड़काने वाले ट्विटर अकाउंट्स पर रोक लगाने के लिए उसे सैकड़ों अकाउंट्स की सूची सौंपी थी। ट्विटर ने इन अकाउंट पर रोक लगाने में पहले आनाकानी की लेकिन सख्ती के बाद वह इन अकाउंट्स पर रोक लगाने के लिए तैयार हुआ। इसके बाद टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की नोटिस के बाद तकरार और तेज हुई। ट्विटर ने उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू एवं आरएसएस के कई नेताओं के अकाउंट्स से ब्लू टिक हटा दिया।  

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