पटना: उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और अन्य लोगों सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता पटना के प्रतिष्ठित गांधी मैदान में दशहरा समारोह के आयोजन में नहीं पहुंचे, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य अतिथि थे। उपमुख्यमंत्री के लिए नामित कुर्सी उत्सव के दौरान खाली रह गई। उप मुख्यमंत्री मोदी के अलावा, इस कार्यक्रम में स्थानीय भाजपा विधायक, भाजपा के मंत्रियों और अन्य प्रतिष्ठित भाजपा नेताओं की अनुपस्थिति देखी गई।
राज्य सरकार की आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, वरिष्ठ नौकरशाह, पटना के जिलाधिकारी और अन्य अधिकारी गांधी मैदान में समारोह के दौरान मौजूद थे।
जेडीयू नेता अजय आलोक ने भी ट्विटर पर बीजेपी से पूछा कि क्या हो गया? कोई गांधी मैदान में रावण वध में नहीं आया? रावण वध नहीं करना था क्या?
सरकार के कार्यक्रम में बीजेपी नेताओं का शामिल ना होना ऐसे समय में सामने आया है, जब पटना बाढ़ के बाद दोनों दलों के कुछ नेताओं के बीच बयानबाजी हुई। कार्यक्रम में बीजेपी नेताओं की गैरमौजूदगी से ये भी सवाल उठने खड़े हो जाएंगे कि क्या भाजपा और जेडीयू गठबंधन में सब सही नहीं है?
बाढ़ के बाद केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा था कि राज्य प्रशासन राजधानी शहर में बाढ़ की स्थिति के कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब ताली सरदार को, तो गाली भी सरदार को। इस पर जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने पलटवार करते हुए कहा, 'वह (गिरिराज सिंह) नीतीश कुमार की पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हैं। कोई भी जब-तब सिर्फ महादेव का नाम जप कर नेता नहीं बन जाता है।'
जेडीयू के अन्य प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि पटना में संकट के लिए भाजपा कहीं ज्यादा जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, 'जदयू-भाजपा गठबंधन जब से राज्य में शासन कर रहा है, तब से शहरी विकास विभाग हमारी गठबंधन सहयोगी के पास है। पटना के मेयर भाजपा के हैं और जिले की दो लोकसभा सीटों का प्रतिनिधित्व भी भाजपा के नेता करते हैं। शहर के सभी विधानसभा क्षेत्र 1990 के दशक से ही भाजपा का गढ़ हैं।'