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अपना अंतिम वादा पूरा नहीं कर पाए पृथ्वी सिंह चौहान, CDS रावत का चॉपर उड़ा रहे थे

Updated Dec 09, 2021 | 17:40 IST

CDS Bipin Rawat chopper Crash : 42 साल के पृथ्वी सिंह चार बहनों में इकलौते भाई थे। अभी मुंबई में रह रहीं उनकी सबसे बड़ी बहन शकुंतला ने टीवी पर खबर देखकर पृथ्वी सिंह की पत्नी कामिनी को फोन किया था, तब उन्हें बेटे की शहादत की जानकारी मिली।

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आगरा के रहने वाले थे विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान।
मुख्य बातें
  • आगरा के रहने वाले थे विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान
  • सीडीएस रावत के चॉपर को पृथ्वी सिंह ही उड़ा रहे थे
  • वायु सेना के काबिल पायलट थे पृथ्वी, कई जगह हो चुके थे तैनात

CDS Rawat Chopper Crash : तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर क्रैश ने देश को हिला दिया है। इस दर्दनाक हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ आगरा के जांबाज विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान भी शहीद हो गए। पृथ्वी सिंह ही उस हेलीकॉप्टर के पायलट थे जिसमें सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कुल 14 लोग सवार थे। आगरा के न्यू आगरा में रहने वाले पृथ्वी सिंह के घर में जैसे ही उनकी शहादत की खबर पहुंची, तो घर में मातम पसर गया। 75 साल के पिता को गहरा सदमा लगा। उनकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। बेटे की बातें याद कर रोने लगे। उनके इकलौते बेटे ने इस बार उनकी आंख का इलाज कराने का वादा किया था। लेकिन सब अधूरा रह गया। 

चार बहनों में इकलौते भाई थे पृथ्वी सिंह चौहान

42 साल के पृथ्वी सिंह चार बहनों में इकलौते भाई थे। अभी मुंबई में रह रहीं उनकी सबसे बड़ी बहन शकुंतला ने टीवी पर खबर देखकर पृथ्वी सिंह की पत्नी कामिनी को फोन किया था, तब उन्हें बेटे की शहादत की जानकारी मिली। पृथ्वी की शादी 2007 में वृंदावन की रहने वाली कामिनी से हुई थी। उनके दो छोटे बच्चे हैं। बेटी आराध्या 12 साल की हैं और बेटा अविराज नौ साल का है। विंग कमांडर पृथ्वी सिंह की शहादत की जानकारी होते ही आगरा के सरन नगर में उनके घर पर लोगों का जुटना शुरू हो गया। पृथ्वी सिंह के चाचा ने बताया कि पृथ्वी ने साल 2000 में वायुसेना ज्वाइन की थी।

कोयम्बटूर के पास एक एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थे

वायुसेना के जांबाज पायलट में शुमार पृथ्वी सिंह फिलहाल कोयम्बटूर के पास एक एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थे। उनको पहली तैनाती हैदराबाद में मिली थी। इसके बाद वो गोरखपुर, गुवाहाटी, ऊधमसिंह नगर, जामनगर, अंडमान निकोबार समेत दूसरे एयरफोर्स स्टेशनों पर भी तैनात रहे। पृथ्‍वी की प्रतिभा और युद्ध कौशल की वायुसेना कायल थी। उन्हें एक साल की विशेष ट्रेनिंग के लिए सूडान भी भेजा गया था।

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