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पावागढ़ के कालिका मंदिर में पीएम मोदी ने की पूजा अर्चना, 500 साल बाद शिखर पर फहराया ध्वज

Updated Jun 18, 2022 | 12:15 IST

पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित मां कालिका देवी मंदिर में पीएम मोदी ने पूजा अर्चना की।लेकिन खास बात यह है कि करीब पांच सौ साल बाद मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराया गया।

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पावागढ़ के कालिका मंदिर में पीएम मोदी ने की पूजा अर्चना

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के पंचमहल जिले के पावागढ़ पहाड़ी में कालिका माता के पुनर्विकसित मंदिर का उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के शिखर पर झंडा फहराया और वहां पूजा-अर्चना की। पुनर्विकसित मंदिर के उद्घाटन के बाद सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्रसिद्ध मंदिर के ऊपर झंडा पांच शताब्दियों तक नहीं फहराया गया था, और यहां तक कि भारत की आजादी के 75 वर्षों के दौरान भी किसी ने सुधि नहीं ली। 

पांच शताब्दी बाद मंदिर के शिखर पर फहराया गया झंडा
पीएम मोदी ने कहा कि आज मां काली के मंदिर के शिखर पर झंडा फहराया गया है। यह क्षण हमें प्रेरणा और ऊर्जा देता है, और हमें अपनी महान संस्कृति और परंपरा के प्रति समर्पण के साथ जीने के लिए प्रेरित करता है। पीएम ने आगे कहा कि यह कार्यक्रम उनके दिल को विशेष खुशी भर देता है।जब सपना संकल्प बन जाए और जब संकल्प सिद्धि के रूप में आंखों के सामने हो। आप इसकी कल्पना कर सकते हैं। आज का क्षण मेरे दिल को विशेष आनंद से भर देता है।


पीएम मोदी ने और क्या कहा

  1. पावागढ़ में आध्यात्म भी है, इतिहास भी है, प्रकृति भी है, कला-संस्कृति भी है। यहाँ एक ओर माँ महाकाली का शक्तिपीठ है, तो दूसरी ओर जैन मंदिर की धरोहर भी है। यानी, पावागढ़ एक तरह से भारत की ऐतिहासिक विविधता के साथ सर्वधर्म समभाव का एक केंद्र रहा है।
  2. पहले पावागढ़ की यात्रा इतनी कठिन थी कि लोग कहते थे कि कम से कम जीवन में एक बार माता के दर्शन हो जाएँ। आज यहां बढ़ रही सुविधाओं ने मुश्किल दर्शनों को सुलभ कर दिया है।
  3. मां काली का आशीर्वाद लेकर विवेकानंद जी जनसेवा से प्रभुसेवा में लीन हो गए थे।
  4. मां, मुझे भी आशीर्वाद दो कि मैं और अधिक ऊर्जा के साथ, और अधिक त्याग और समर्पण के साथ देश के जन-जन का सेवक बनकर उनकी सेवा करता रहूं। मेरा जो भी सामर्थ्य है, मेरे जीवन में जो कुछ भी पुण्य हैं, वो मैं देश की माताओं-बहनों के कल्याण के लिए, देश के लिए समर्पित करता रहूं।
  5. आज सदियों बाद पावागढ़ मंदिर में एक बार फिर से मंदिर के शिखर पर ध्वज फहरा रहा है। ये शिखर ध्वज केवल हमारी आस्था और आध्यात्म का ही प्रतीक नहीं है! ये शिखर ध्वज इस बात का भी प्रतीक है कि सदियाँ बदलती हैं, युग बदलते हैं, लेकिन आस्था का शिखर शाश्वत रहता है।


देश को अब आधुनिक पहचान
उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम के बारे में भी बात की और कहा कि देश अब अपनी आधुनिक आकांक्षाओं के साथ अपनी प्राचीन पहचान को जी रहा है।अयोध्या में आपने देखा कि भव्य राम मंदिर आकार ले रहा है। काशी का काशी विश्वनाथ धाम हो या मेरे केदार बाबा का धाम, आज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव को बहाल किया जा रहा है। आज नया भारत अपनी प्राचीन पहचान के साथ-साथ अपनी आधुनिक आकांक्षाओं पर गर्व कर जी रहा है।

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