- भारत में सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी ने चीन के साथ संबंध सुधारने के लिए कई प्रयास किए
- जिस गर्मजोशी के साथ उन्होंने इस दिशा में पहल की, उससे भारत-चीन संबंधों में नया मोड़ आने की उम्मीद जगी
- हालांकि भारत को चीन से एक बार फिर धोखा मिला और आपसी संबंधों में खटास कहीं अधिक बढ़ गया है
नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और इसे लेकर तनाव कोई नई बात नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि रिश्तों को सुधारने की कोशिशें नहीं हुईं। बीते 6 वर्षों पर ही नजर डालें तो इस दौरान भी आपसी मतभेदों को दूर करने और संबंध सुधारने के लिए कई प्रयास हुए, लेकिन भारत को चीन से एक बार फिर धोखा ही मिला है। किसी ने शायद की कल्पना की थी कि आपसी तनाव का दुष्परिणाम घातक खूनी संघर्ष के रूप में सामने आएगा, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो जाएंगे।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हुई हिंसक झड़प में हालांकि 40 से अधिक चीनी सैनिकों के भी हताहत होने की रिपोर्ट है, लेकिन इस बारे में चीन की तरफ से आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं बताया गया है। इस घटना ने एक बार फिर भारत और चीन के संबंधों में तनाव को चरम पर ला दिया है। इस बीच दोनों देशों की ओर से संबंधों को सामान्य बनाने की तमाम कोशिशें जारी हैं, सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर भी बातचीत की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इस टकराव के बाद आपसी रिश्तों का जल्द पटरी पर आना क्या वाकई इतना आसान है?
5 वर्षों में 18 मुलाकातें
बीते 5 वर्षों पर नजर डालें तो भारत और चीन के बीच रिश्तों को सुधारने के लिए कई प्रयास हुए। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद साल 2019 में कोरोना संकट के सामने आने से पहले तक पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 18 मुलाकातें हुईं। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय मुलाकातें हुईं तो वे अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में भी मिले। पहले चीन के वुहान और फिर भारत के महाबलीपुरम (मामल्लापुरम) में दोनों नेताओं की अनौपचारिक मुलाकातें भी हुईं, पर नतीजा आखिर क्या निकला? एक बार फिर धोखा, जो भारत ने इससे पहले 1962 में भी झेला।
केंद्र की सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी ने चीन के साथ संबंधों को सुधारने की कवायद जिस गर्मजोशी के साथ की थी, उसे देखकर उम्मीद की जा रही थी कि भारत-चीन रिश्ते में एक नया मोड़ देखने को मिलेगा, पर नतीजा सिफर रहा और पहले डोकलाम तनाव और अब लद्दाख में घातक सैन्य टकराव के रूप में सामने आया। आइये जानते हैं कि भारत और चीन के नेताओं ने 2014 से लेकर अगले 5 वर्षों में कब-कब मुलाकातें कीं और उनके बीच किन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी।
कब-कब मिले पीएम मोदी-शी जिनपिंग
14-16 जुलाई 2014: पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पहली मुलाकात ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में हुई थी। दोनों नेता ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मिले थे, जो चार देशों- ब्राजील, रूस, भारत, चीन का संगठन है। इस दौरान दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाने पर जोर दिया था।
17-19 सितंबर 2014: पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए। इस दौरान पीएम मोदी के गृहराज्य गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे दोनों नेता एक झूले पर बैठे नजर आए थे। इस दौरान दोनों देशों के बीच 12 समझौते हुए और चीन ने भारत में 20 अरब डॉलर के निवेश का वादा भी किया।
14-15 मई 2015: पीएम चीन के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे थे, जब उनकी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच 26 समझौते हुए।
8 जुलाई 2015: पीएम मोदी रूस के उफा में आयोजित ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की शिखर बैठक के लिए पहुंचे थे, जब उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भी मुलाकात हुई थी।
23 जून 2016: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात उजबेकिस्तान में SCO शिखर बैठक के दौरान हुई।
4 सितंबर 2016: चीन के होंगझू में आयोजित जी-20 के शिखर बैठक के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग की एक बार फिर मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने विवादों के समाधान के लिए रचनात्मक मुद्दों पर जोर दिया।
15-16 अक्टूबर 2016: गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन के राष्ट्रपति भारत पहुंचे, जब पीएम मोदी के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक भी हुई।
9 जून 2017: SCO शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच एक बार फिर कजाकिस्तान के अस्ताना में मुलाकात हुई।
7 जुलाई 2017: पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हैम्बर्ग में जी20 शिखर सम्मलेन के दौरान मुलाकात हुई। इस दौरान उन्होंने डोकलाम का मुद्दा भी उठाया था।
5 सितंबर 2017: चीन के शियानमेन में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मुलाकात हुई।
26-28 अप्रैल 2018: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अनौपचारिक मुलाकात के लिए पीएम मोदी चीन के वुहान शहर गए। यह दोनों नेताओं के बीच पहली अनौपचारिक बैठक रही, जिसमें वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने और विश्वास बहाली को लेकर कई बातों पर सहमति बनी।
9-10 जून 2018: चीन के किंगदाओ में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग की एक बार फिर मुलाकात हुई।
26-27 जुलाई 2018 : पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई।
30 नवंबर-1 दिसंबर 2018: पीएम मोदी और शी जिनपिंग एक बार फिर अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान मिले।
13-14 जून 2019 : भारत में दोबारा सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी किर्गिजस्तान के बिश्केक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले। दोनों नेताओं की मुलाकात SCO शिखर सम्मेलन के दौरान हुई, जिसमें पीएम मोदी ने जिनपिंग को भारत आने का न्योता भी दिया।
28-29 जून : जापान के ओसाका में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति की एक बार फिर जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई।
12-13 अक्टूबर 2019: पीएम मोदी के आमंत्रण पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत दौरे पर पहुंचे। तमिलनाडु के मामल्लापुरम में उनकी अनौपचारिक मुलाकात हुई। यह वुहान में हुई अनौपचारिक वार्ता का ही अगला चरण था। समुद्र तट पर पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच 6 घंटे तक बैठक हुई थी, जिसमें कई समझौतों पर भी वार्ता हुई।
14 नवंबर 2019: पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति एक बार फिर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ब्राजील में मिले।
यहां उल्लेखनीय है कि केंद्र की सत्ता संभालने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी नरेंद्र मोदी तकरीबन चार बार चीन का दौरा कर चुके हैं। गुजरात में चीनी निवेश और भारत के साथ व्यापारिक संबंधों के लिहाज से इन यात्राओं को काफी अहम माना जाता है। लेकिन हालिया तनाव से एक बार फिर जाहिर हो गया है कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उसी भरोसे की आड़ में भारत पर 1962 का अनचाहा युद्ध चीन ने थोपा था और एक बार फिर लद्दाख में भारत के साथ विश्वासघात किया है।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है)