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PM मोदी ने विस्तार से बताया- आखिर केंद्र ने मई में क्यों बदली थी वैक्सीन नीति

Updated Jun 07, 2021 | 23:45 IST

Vaccination Policy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया है कि आखिर क्यों 16 जनवरी से चल रही टीकाकरण नीति को 1 मई को बदला गया। उन्होंने विस्तार से अपनी सरकार का पक्ष रखा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मुख्य बातें
  • 1 मई से वैक्सीन को लेकर राज्य सरकारें भी फैसला कर रही थीं
  • अब वापस से टीकाकरण की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने ले ली है
  • 21 जून से सभी को मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराएगी केंद्र सरकार

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कोविड-19 टीकाकरण नीति में एक और बदलाव की घोषणा की। देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 21 जून से देश के हर राज्य में 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी नागरिकों के लिए भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी। वैक्सीन निर्माताओं से कुल वैक्सीन उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार खुद ही खरीदकर राज्य सरकारों को मुफ्त देगी। देश में बन रही वैक्सीन में से 25 प्रतिशत,  प्राइवेट सेक्टर के अस्पताल सीधे ले पाएं ये व्यवस्था जारी रहेगी।

उन्होंने कहा, 'प्राइवेट अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे। इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा। देश की किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा। अब तक देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त वैक्सीन मिली है। अब 18 वर्ष की आयु के लोग भी इसमें जुड़ जाएंगे। सभी देशवासियों के लिए भारत सरकार ही मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी।'

मोदी ने कहा कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ा जो 25 प्रतिशत काम था, उसकी जिम्मेदारी भी भारत सरकार उठाएगी। ये व्यवस्था आने वाले 2 सप्ताह में लागू की जाएगी। इन दो सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नई गाइडलाइंस के अनुसार आवश्यक तैयारी कर लेंगी।

इसलिए बदली गई टीकाकरण नीति

संबोधन में पीएम मोदी ने बताया कि मई में कोविड-19 टीकाकरण नीति क्यों बदली गई। उन्होंने कहा कि राज्यों से इसकी बढ़ती मांग और मीडिया के एक वर्ग द्वारा अभियान के कारण केंद्रीकृत कोविड-19 टीकाकरण नीति को बदल दिया गया। पीएम मोदी ने कहा, 'देश में कम होते कोरोना के मामलों के बीच, केंद्र सरकार के सामने अलग-अलग सुझाव भी आने लगे, भिन्न-भिन्न मांगे होने लगीं। पूछा जाने लगा, सब कुछ भारत सरकार ही क्यों तय कर रही है? राज्य सरकारों को लॉकडाउन की छूट क्यों नहीं मिल रही? One Size Does Not Fit All जैसी बातें भी कही गईं। इस साल 16 जनवरी से शुरू होकर अप्रैल महीने के अंत तक, भारत का वैक्सीनेशन कार्यक्रम मुख्यत: केंद्र सरकार की देखरेख में ही चला। सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाने के मार्ग पर देश आगे बढ़ रहा था। देश के नागरिक भी, अनुशासन का पालन करते हुए, अपनी बारी आने पर वैक्सीन लगवा रहे थे।' 

'भांति-भांति के दबाव बनाए गए'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस बीच कई राज्य सरकारों ने फिर कहा कि वैक्सीन का काम डी-सेंट्रलाइज किया जाए और राज्यों पर छोड़ दिया जाए। तरह-तरह के स्वर उठे। जैसे कि वैक्सीनेशन के लिए आयु समूह क्यों बनाए गए? दूसरी तरफ किसी ने कहा कि उम्र की सीमा आखिर केंद्र सरकार ही क्यों तय करे? कुछ आवाजें तो ऐसी भी उठीं कि बुजुर्गों का वैक्सीनेशन पहले क्यों हो रहा है? भांति-भांति के दबाव भी बनाए गए।' 

1 मई से टीकाकरण नीति में संशोधन हुआ

राज्यों की मांगों के मद्देनजर पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1 मई से कोविड-19 टीकाकरण नीति को संशोधित किया, जिससे राज्यों को वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं सहित 25 प्रतिशत टीके खरीदने की अनुमति मिली। राज्यों को वैक्सीन लाभार्थियों की आयु-पात्रता तय करने की स्वतंत्रता दी गई थी। 1 मई से राज्यों ने भी अनुभव किया है कि वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं से टीके खरीदना कितना आसान या कठिन था। सभी आयु समूहों के लिए टीकाकरण खोलने के नियमों में ढील देने से टीकों की भारी कमी हो गई।

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