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Bhagat Singh: आज के युवा कैसे भगत सिंह बन सकते हैं? पीएम मोदी ने बताया

Updated Sep 27, 2020 | 13:43 IST

Bhagat Singh: मन की बात कार्यक्रम में शहीद भगत सिंह के पराक्रम का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा हम सबके दिलों में हो, यही भगत सिंह को श्रद्धांजलि होगी।

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शहीद भगत सिंह
मुख्य बातें
  • 28 सितंबर को शहीद भगत सिंह की जयंती
  • शहीद भगत सिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान और चिंतक थे
  • भगत सिंह टीम वर्क के महत्व को बखूबी समझते थे

नई दिल्ली: कल यानी 28 सितंबर को शहीद भगत सिंह की जयंती मनाई जाएगी। उससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में उन्हें याद किया और उनका गुणगान किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हम भगत सिंह बन पाएं या ना बन पाएं, लेकिन भगत सिंह जैसा देश प्रेम, देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा जरूर हम सबके दिलों में हो। शहीद भगत सिंह को यही हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। 

'मन की बात' में भगत सिंह का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आपको अतीत के एक हिस्से में ले जाना चाहता हूं। एक-सौ-एक साल पुरानी बात है। 1919 का साल था। अंग्रेजी हुकूमत ने जलियांवाला बाग में निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया था। इस नरसंहार के बाद एक बारह साल का लड़का उस घटनास्थल पर गया। वह खुशमिजाज और चंचल बालक, लेकिन, उसने जलियांवाला बाग में जो देखा, वह उसकी सोच के परे था। वह स्तब्ध था, यह सोचकर कि कोई भी इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। वह मासूम गुस्से की आग में जलने लगा था। उसी जलियांवाला बाग में उसने अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ने की कसम खाई। क्या आपको पता चला कि मैं किसकी बात कर रहा हूं? हां! मैं शहीद वीर भगतसिंह की बात कर रहा हूं।
कल, 28 सितंबर को हम शहीद वीर भगतसिंह की जयंती मनाएंगे। 

मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता  की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूं। क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, इसके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। इतनी ताकतवर हुकूमत एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गई थी। शहीद भगत सिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे, चिंतक थे। अपने जीवन की चिंता किए बगैर भगत सिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा। 

शहीद वीर भगतसिंह के जीवन का एक और खूबसूरत पहलू यह है कि वे टीम वर्क के महत्व को बखूबी समझते थे। लाला लाजपत राय के प्रति उनका समर्पण हो या फिर चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु समेत क्रांतिकारियों के साथ उनका जुड़ाव उनके लिए कभी व्यक्तिगत गौरव महत्वपूर्ण नहीं रहा। वे जब तक जिए सिर्फ एक मिशन के लिए जिए और उसी के लिए उन्होंने अपना बलिदान दे दिया- वह मिशन था भारत को अन्याय और अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाना।  

मैंने NaMoApp पर हैदराबाद के अजय एसजी का एक कमेंट पढ़ा। अजय जी लिखते हैं- आज के युवा कैसे भगत सिंह जैसे बन सकते हैं ? देखिए! हम भगत सिंह बन पाएं या ना बन पाएं लेकिन, भगत सिंह जैसा देश प्रेम, देश के लिए कुछ कर-गुजरने का जज्बा जरूर हम सबके दिलों में हो। शहीद भगत सिंह को यही हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। चार साल पहले लगभग यही समय था, जब सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान दुनिया ने हमारे जवानों के साहस, शौर्य और निर्भीकता को देखा था। हमारे बहादुर सैनिकों का एक ही मकसद और एक ही लक्ष्य था, हर कीमत पर भारत मां के गौरव और सम्मान की रक्षा करना। उन्होंने अपनी जिंदगी की जरा भी परवाह नहीं की। वे अपने कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ते गए और हम सबने देखा कि किस प्रकार वे विजयी होकर के सामने आए। भारत माता का गौरव बढ़ाया।

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