- अटल टनल खुलने से चीन सीमा तक भारत की पहुंच होगी आसान
- 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग, दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है
- अटल टनल में अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ चल सकते हैं वाहन
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जब अटल टनल का उद्धाटन करेंगे तो इससे ना केवल आम आदमी को सुविधा होगी बल्कि भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)के और करीब आ पहुंच जाएगा। ऑल वेदर अटल टनल हिमाचल प्रदेश के मनाली से लेह के बीच की दूरी को 46 किलोमीटर कम कर देती है, जिससे यात्रा का समय 4-5 घंटे कम हो जाता है। जब पीएम मोदी इसका उद्धाटन करेंगे तो उनके साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजदू रहेंगे।
सामरिक रूप से अहम
चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव और प्रचंड सर्दियों के मौसम के दौरान यह टनल सुरक्षाबलों के लिए विशेष रूप से मददगार होगी। 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग, दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है जो मनाली और लाहौल-स्पीति घाटी को पूरे साल जोड़ती है। इससे पहले पहले हर साल लगभग छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण यह संपर्क कट जाता था।
अत्याधुनिक हालातों को देखते हुए हुई है तैयार
यह टनल हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विनिर्देशों के साथ बनाई गई है। अटल टनल का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंगसिस्सुगांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
घोड़े की नाल की आकार
यह घोड़े की नाल के आकार में8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है। इसकी ओवरहेड निकासी 5.525 मीटर है। यह 10.5 मीटर चौड़ी है और इसमें 3.6x 2.25 मीटर फायर प्रूफ आपातकालीन निकास टनल भी है, जिसे मुख्य टनल में ही बनाया गया है। अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है। यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम,एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से युक्त है।
अटल का सपना
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब 03 जून, 2000 को रोहतांग दर्रे के नीचे एक रणनीतिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। टनल के दक्षिण पोर्टल की पहुंच रोड़ की आधारशिला 26 मई, 2002 रखी गई थी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने प्रमुख भूवैज्ञानिक, भूभाग और मौसम की चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अथक परिश्रम किया।इ न चुनौतियों मे सबसे कठिन प्रखंड587 मीटर लंबा सेरी नाला फॉल्ट जोन शामिल है, दोनों छोर पर सफलता 15 अक्टूबर, 2017 को प्राप्त हुई थी।