नई दिल्ली: 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के परिणाम आए और इसके बाद करीब एक महीने तक राज्य में सियासी अनिश्चितता का दौर चला। बीजेपी और शिवसेना के बीच सरकार बनाने को लेकर बात नहीं बनी और बीजेपी ने सत्ता से किनारा कर लिया। इसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सत्ता को लेकर सियासी उठापटक का दौर जारी था और आखिरकार शुक्रवार रात एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने ऐलान किया कि मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बनी है लेकिन कहानी में सबसे दिलचस्प ट्विस्ट आना अभी बाकी था।
शनिवार सुबह सत्ता हासिल करने के अखाड़े में बीजेपी अचानक दोबारा एंट्री मारती है और पता चलता है कि देवेंद्र फणनवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। एनसीपी शिवसेना के लिए ये बड़ा झटका था कि अजित पवार ने जाकर बीजेपी का हाथ थाम लिया है।
इसके बाद शुरु हुआ प्रतिक्रियाओं का दौर- आम लोग हों या फिर राजनीतिक हस्तियां, हर कोई अपने- अपने अंदाज में इस बदले हुए घटनाक्रम की व्याख्या कर रहा था। इस बीच ट्विटर पर सियासत शायराना होती दिखी।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने लिखा-
'मुझे मत देखो यूं उजाले में लाकर,
सियासत हूं मैं, कपड़े नहीं पहनती।
इसे कहते हैं-:
जनादेश से विश्वासघात, लोकतंत्र की सुपारी।'
महाराष्ट्र में शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने का दावा कर चुके राज्यसभा सांसद संजय राउत भी इसी अंदाज में दिखे और ट्विटर पर लिखा- 'जिस जिस पर ये जग हंसा है, उसी ने इतिहास रचा है।'
राउत के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए एनसीपी नेता नवाब मलिक ने लिखा, 'दश्त तो दश्त है दरिया भी ना छोड़े हमने , बहर ए ज़ुल्मात मे दौड़ा दिये घोड़े हमने । इक़बाल'
शायरियों के बीच महाभारत के पात्रों दुर्योधन और शकुनी की भी एंट्री हो गई। कांग्रेस की ओर से कहा गया, 'भाजपा व अजीत पवार ने मिलकर दुर्योधन व शकुनि की तरह महाराष्ट्र के जनादेश का चीर-हरण कर दिया!'
बीजेपी की ओर से इसका जवाब दिया कैलाश विजयवर्गीय ने और ट्विटर लिखा, 'महाभारत में शकुनि मामा ने कौरवों को समाप्त करवा दिया था। बताइए शिवसेना में शकुनि मामा कौन है???'
वरिष्ठ बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने लिखा, 'जो हिंदुत्व आंदोलन को विभाजित करने की कोशिश करेगा खुद विभाजित हो जाएगा।'
इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी नेताओं की ओर से सीएम देवेंद्र फणनवीस को बधाई देने का सिलसिला जारी रहा। बीजेपी को अब भी विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना है, ऐसे में नजर उन विधायकों पर है जो अजित पवार के साथ बीजेपी का हाथ थामेंगे।