- एकनाथ शिंदे मराठा नेता हैं, बीजेपी उनके जरिए 30 फीसदी मराठा वोटरों पर फोकस कर रही है।
- एकनाथ शिंदे को सीएम बनाकर बीजेपी शिवसेना के वोटरों को अपने साथ लाने की कोशिश करती दिख रही है।
- उद्धव ठाकरे के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब खुद को असली शिवसेना साबित करने की है।
नई दिल्ली: जिस मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी ढाई साल से इंतजार कर रही थी, जिस मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी-शिवसेना की दोस्ती टूट गई, जिस मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी अजित पवार तक के साथ चली गई थी। उसने वो मुख्यमंत्री पद, शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे को थाली में सजा कर दे दिया। बीजेपी की इस रणनीति ने लोगों को हैरान कर दिया है। सवाल पूछे जा रहे हैं कि जब मुख्यमंत्री पद किसी और को ही देना ही था तो 2019 में उद्धव ठाकरे के ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले में क्या बुराई थी। पुरानी दोस्ती भी बनी रहती, हिंदुत्ववादी दल का साथ भी बना रहता, केंद्र और राज्य में सरकारों को मजबूती भी मिलती।
लेकिन उस वक्त बीजेपी ने ऐसा नहीं किया और अब ढाई साल विपक्ष में बैठने के बाद जब अपने दल से किसी को मुख्यमंत्री बनाने का मौका आया तो ये पद उसने शिवसेना के एक बागी को दे दिया। ऐसा क्यों हुआ ? इसके पीछे है बीजेपी की मराठा राजनीति। बीजेपी भले ही महाराष्ट्र में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है लेकिन महाराष्ट्र के सबसे बड़े वर्ग यानी मराठा समुदाय में बीजेपी की पकड़ उतनी मजबूत नहीं है जितनी होनी चाहिए। शरद पवार पिछले 65 सालों से महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे अहम चेहरा हैं। कांग्रेस से निकलने के बाद भी वो महाराष्ट्र में कांग्रेस से बड़े चेहरे साबित हुए तो इसकी सबसे बड़ी वजह है उनका मराठा होना। कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना तीनों को मराठा वोट मिलते हैं लेकिन बीजेपी में इसमें पिछड़ती रही है। एकनाथ शिंदे के जरिए बीजेपी इन्हीं मराठा वोटों में सेंध लगाना चाहती है। इसलिए उसने देवेंद्र फडणवीस की जगह एकनाथ शिंदे को सीएम का पद दे दिया।
शिंदे के जरिए पवार और उद्धव को जवाब !
अगर देवेंद्र फडणवीस सीएम बनते तो एकनाथ शिंदे साइड रोल में रहते। फिर बीजेपी के लिए मराठा नेता शरद पवार और मराठी मानुष की राजनीति करने वाले उद्धव ठाकरे से लड़ना मुश्किल हो सकता था। इसलिए बीजेपी ने मराठा नेता एकनाथ शिंदे को कमान सौंपी, इससे मराठा वोटों की राजनीति खत्म होगी और मराठी मानुष वाली राजनीति भी नहीं चलेगी। इतना ही नहीं, शरद पवार और उद्धव ठाकरे दोनों क्षेत्रीय राजनीति करते हैं दोनों के वोटरों मराठा ही हैं। ऐसे में बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को असली शिवसेना बनाकर इस वोट बैंक में सबसे बड़ी सेंधमारी का प्लान बनाया है।
महाराष्ट्र में क्या है मराठा वोटों की ताकत ?
महाराष्ट्र में 30 फीसदी मराठा वोट हैं, देवेंद्र फडणवीस के पिछले कार्यकाल में मराठा समुदाय ने आरक्षण को लेकर बड़ा आंदोलन किया था। मराठा आरक्षण का मुद्दा अभी भी अटका हुआ है। महाराष्ट्र में सिर्फ 3% ब्राह्मण वोट हैं, ऐसे में बीजेपी को डर था कि अगर उसने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया तो मराठा वोटर नाराज हो सकता है। मराठा समुदाय फिर से आरक्षण के लिए आंदोलन की राह पकड़ सकता है और शरद पवार इसका राजनीतिक फायदा उठा सकते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में इससे बीजेपी को नुकसान होने की आशंका थी। इसलिए बीजेपी ने मराठा वोटों को ध्यान में रखते हुए देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री नहीं बनाया।
2019 का बदला नहीं, 2024 की तैयारी !
बीजेपी देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाकर, 2019 का बदला ले सकती थी, लेकिन बीजेपी ने पुराना बदला ना लेकर 2024 की तैयारी शुरू कर दी। अगर बीजेपी 2024 में लोकसभा चुनाव जीतती है तो महाराष्ट्र विधानसभा में उसके लिए अकेले बहुमत लाना आसान होगा। 2014 में बीजेपी 122 सीटों पर जीती थी, 2019 में बीजेपी ने 105 सीटें जीती थी। साफ है कि बीजेपी थोड़ा और दम लगाए तो वो बहुमत के 145 वाले आंकड़े को छू सकती है। बीजेपी की यही कोशिश है कि अच्छी तैयारियों से 2024 में महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत लाया जाए और फिर देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनें।