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कांग्रेस के चिंतन शिविर पर 'पीके' का मंथन, यथास्थिति बनाए रखने की सिर्फ कोशिश

Updated May 20, 2022 | 13:24 IST

उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकलेंगे। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी से लड़ने के लिए कांग्रेस सक्षम है, और अपनी लड़ाई को धार देने के लिए सड़क पर उतरेगी। लेकिन प्रशांत किशोर का क्या कहना है उसे समझने की जरूरत है।

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स्टेट्स को बनाए रखने में कांग्रेस को यकीन, चिंतन शिविर पर प्रशांत किशोर
मुख्य बातें
  • उदयपुर में कांग्रेस के नेताओं ने चिंतन मनन किया था।
  • राहुल गांधी देशव्यापी दौरा करेंगे
  • दौरे को भारत जोड़ो यात्रा का नाम दिया गया

उदयपुर में कांग्रेस ने तीन दिनों तक अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में चिंतन मनन किया। लेकिन ठीक उसी दौरान कांग्रेस से दो बड़े विकेट गिरे। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने इस्तीफा दिया तो पंजाब में भी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पार्टी की अलविदा कह दिया। जाखड़ अब बीजेपी के हिस्सा हैं लेकिन हार्दिक पटेल कहां जाएंगे इसे लेकर सस्पेंस बरकरार है। इन सबके बीच प्रशांत किशोर में कभी खुद के लिए उम्मीद देख रही कांग्रेस पर उन्होंने टिप्पणी की। खासतौर से कांग्रेस के चिंतन शिविर से क्या कुछ निकला उस मुद्दे पर अपने नजरिए को रखा। 

चिंतन शिविर पर पीके का नजरिया
मुझे बार-बार #UdaipurChintanShivir  के परिणाम पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया है मेरे विचार से, यह यथास्थिति को लम्बा खींचने और #कांग्रेस नेतृत्व को कुछ समय देने के अलावा कुछ भी सार्थक हासिल करने में विफल रहा, कम से कम गुजरात और एचपी में आसन्न चुनावी हार तक! अब जब प्रशांत किशोर ने अपने नजरिए को रखा को राजनीति में रुझान रखने वालों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। 


यूजर्स की प्रतिक्रिया

कई नेताओं के जाने के बाद चिरान शिविर का नतीजा साफ नजर आ रहा है. कांग्रेस एक डूबता जहाज है। इसे पार करने का कोई मतलब नहीं है।हमें इससे छुटकारा पाना चाहिए और एक नया और ताजा विकल्प (आप) खोजना चाहिए।

चिंतन शिविर के बाद 3 विकेट गिरे

1. सुनील जाखड़ (पूर्व अध्यक्ष पंजाब कांग्रेस)-
2. हार्दिक पटेल (कार्यकारी अध्यक्ष गुजरात कांग्रेस)
3. गणेश घोगरा (वर्तमान विधायक राजस्थान कांग्रेस)

इन सभी के भाजपा में शामिल होने की संभावना है।बताओ ये आप को बी टीम बोलते हैं कि बीजेपी की। 

कांग्रेस और यहां तक कि श्री राहुल गांधी में भी राजनीति की तत्परता का अभाव है। मुझे उगता हुआ सूरज दिखाई नहीं देता। लेकिन मुझे लगता है कि श्रीमान राहुल गांधी तुलनात्मक रूप से ईमानदार हैं और अगर पार्टी जीतने का प्रबंधन कर सकती है तो वह सफल होंगे। 

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि अगर आप हार्दिक पटेल और सुनील जाखड़ के बयानों को देखें तो एक बात साफ है कि इन लोगों ने कमोबेश उसी बात को कहने की कोशिश की है जो हिमंता बिश्वा सरमा ने कही थी। हार्दिक ने साफ कहा कि कांग्रेस के नेता सैंडविच चिकन में बिजी रहते हैं, राहुल गांधी को मोबाइल से फुर्सत नहीं मिलती। सोनिया गांधी कहने के लिए अध्यक्ष हैं असल फैसले तो राहुल गांधी ही करते हैं। इसी तरह सुनील जाखड़ ने भी कहा कि परिवारवाद की वजह से कहीं न कहीं कांग्रेस अपने सिद्धांतों से भटक गई है और उसका नतीजा सबके सामने है। अगर ऐसी सूरत में प्रशांत किशोर की टिप्पणी सटीक ही नजर आती है। 

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