पटना : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के बीच बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता प्रशांत किशोर ने एक बार फिर अपनी बात रखी है, जो पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर लगातार इस कानून का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर इसकी मुखालफत की है और कहा कि राज्यों के सहयोग के बगैर न तो एनआरसी और न ही सीएए को लागू किया जा सकता है।
एनआरसी और सीएए को लेकर मुखर प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी कहा था कि वे इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। प्रशांत किशोर इस मुद्दे पर पार्टी के नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख से भी इत्तेफाक नहीं रखते। पिछले दिनों इस मुद्दे पर नीतीश कुमार से मतभेद के कारण उनके पार्टी से इस्तीफे की रिपोर्ट भी आई थी, हालांकि इस पर कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई।
इस बीच प्रशांत कुमार ने एक बार फिर कहा है कि एनआरसी और सीएए को राज्य सरकार की मशीनरी के बगैर लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस संबंध में राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) को लेकर असम का उदाहरण दिया और कहा कि वहां एनआरसी की प्रक्रिया को पूरा किए जाने से पहले तीन साल तक दिन-रात काम होता रहा और इसमें राज्य सरकार की मशीनरी लगी रही।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'कुछ लोग कहते हैं कि केंद्र सरकार इस मामले में कानूनी कार्रवाई कर सकती है। तो क्या इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार राज्यों को अदालत में ले जाएगी? इसका विरोध करने वाली प्रदेश सरकारों को बर्खास्त करने और वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की बातें भी कुछ लोग कर रहे हैं। लेकिन अगर 6 महीने बाद इन राज्यों में चुनाव होता है और फिर वही पार्टी चुनाव जीतती है, जो पहले सत्ता में थी तब फिर क्या होगा? क्या बार-बार सरकारों को खारिज किया जाएगा? इसलिए, व्यावहारिक तौर पर इस कानून को तब तक लागू करना संभव नहीं दिखता, जब तक कि राज्य सरकार सहमति न दे।'
प्रशांत किशोर की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है कि जबकि देश के गृह मंत्री अमित शाह भी कह चुके हैं कि नागरिकता कानून में संशोधन को लेकर लिया गया केंद्र का फैसला पूरे देश में लागू होता है। बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू ने जहां एनआरसी के खिलाफ होने की बात कही है और यह भी कहा कि प्रदेश में इसकी जरूरत नहीं है, वहीं सीएए पर पार्टी ने संसद में केंद्र का साथ दिया है।