लाइव टीवी

Presidential Election: कैसा संयोग: राष्ट्रपति पद के दोनों प्रमुख उम्मीदवारों का 'झारखंड' से है गहरा रिश्ता

Updated Jun 22, 2022 | 06:18 IST

दिलचस्प यह भी है कि जहां द्रौपदी मुर्मू ने अपना पूरा राजनीतिक सफर भाजपा के साथ तय किया है, वही यशवंत सिन्हा की गिनती भी लगभग दो दशकों तक भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता के तौर पर होती रही है।

Loading ...
राष्ट्रपति के लिए जिन दो हस्तियों द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के बीच मुकाबला होगा, उनका झारखंड की धरती से गहरा ताल्लुक

रांची:  यह अनूठा संयोग है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति के लिए जिन दो हस्तियों द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के बीच मुकाबला होगा, उनका झारखंड की धरती से गहरा ताल्लुक रहा है। एनडीए की ओर से प्रत्याशी घोषित की गई द्रौपदी मुर्मू 6 साल तक झारखंड की राज्यपाल रही हैं, वहीं यशवंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार सांसद रहे हैं।

द्रौपदी मुर्मू ने 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल के तौर पर शपथ ली थी। वह इस पद पर 6 साल 1 महीने और 18 दिन तक रहीं। वह पिछले वर्ष यानी 2021 का जुलाई का महीना ही था, जब राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद वह अपने पैतृक शहर रायरंगपुर के लिए रवाना हुई थीं। अब ठीक एक साल बाद जुलाई के महीने में ही देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए सत्ताधारी गठबंधन ने उनका नाम आगे किया है।

Who is Draupadi Murmu:कौन हैं द्रौपदी मूर्मू जो NDA की तरफ बनीं हैं 'राष्ट्रपति पद' उम्मीदवार,जीतीं तो होंगी पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति

20 जून 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। वह 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गई थीं। राजनीति में आने के पहले वह मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं। वह उड़ीसा में दो बार विधायक रह चुकी हैं और उन्हें नवीन पटनायक सरकार में मंत्री पद पर भी काम करने का मौका मिला था। उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी। ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

'और भी होंगे जो मुझसे कहीं बेहतर करेंगे' ऐसा कह महात्मा गांधी के पोते का विपक्ष के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने से इनकार

यशवंत सिन्हा ने वर्ष 1984 में आईएएस की सेवा से स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेकर अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी। वह 1984 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। बाद में 1988 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए थे और केंद्र में चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली सरकार ने वित्त मंत्री भी रहे थे।

1995 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इसी साल पार्टी ने उन्हें रांची विधानसभा क्षेत्र का प्रत्याशी बनाया और वह बिहार विधान सभा का सदस्य बने। वह बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। हालांकि लगभग डेढ़ साल बाद ही पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजने का फैसला किया। बाद में वह 1998, 99 और 2009 में हजारीबाग क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। केंद्र में अटल बिहारी की सरकार में भी वह मंत्री रहे।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।