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कोविड-19 की मुफ्त टेस्ट पर राजी नहीं निजी लैब्स, खटखटाएंगे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

Updated Apr 09, 2020 | 19:40 IST

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कोरोना वायरस से संक्रमण की जांच एनएबीएल से मान्यता प्राप्त लैब्स में अथवा डब्ल्यूएचओ या आईसीएमआर द्वारा स्वीकृत लैब या एजेंसी में होनी चाहिए।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की सोच रहे निजी लैब्स।
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में निजी लैब्स को कोविड-19 की जांच मुफ्त में करने के लिए कहा है
  • कोविड के टेस्ट पर आए खर्च का भुगतान सरकार करेगी या नहीं इस पर फैसला कोर्ट बाद में करेगा
  • निजी लैब्स का कहना है कि उनका पक्ष सुने बगैर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, यह नैसर्गिक न्याय के खिलाफ

नई दिल्ली : कोविड-19 की जांच मुफ्त में करने से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का फैसला निजी लैब्स को रास नहीं आया है। वे शीर्ष अदालत के इस फैसले को चुनौती देने का मन बनाया है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को अपने एक फैसले में कहा कि कोविड-19 की जांच चाहे सरकारी लैब में हो या मान्यता प्राप्त निजी लैब में, इन दोनों जगहों पर जांच मुफ्त में होनी चाहिए। निजी लैब्स का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला उनके साथ नैसर्गिक न्याय नहीं कर रहा है। उन्होंने इस फैसले को चुनौती देने के लिए पांच आधार तैयार किए हैं। 

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कोरोना वायरस से संक्रमण की जांच एनएबीएल से मान्यता प्राप्त लैब्स में अथवा डब्ल्यूएचओ या आईसीएमआर द्वारा स्वीकृत लैब या एजेंसी में होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन निजी लैब्स का भुगतान सरकार को करना चाहिए या नहीं इस पर फैसला बाद में होगा। निजी लैब ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने के लिए पांच आधार तैयार किए हैं जो इस प्रकार हैं- 

  1. बिना हमारा पक्ष सुने कोर्ट ने आदेश पारित किया। इस आदेश का हम पर बुरा असर होगा। यह नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है। हम कोर्ट के समक्ष कुछ तथ्य पेश करना चाहते हैं।
  2. कोविड-19 की मुफ्त जांच संभव नहीं है क्योंकि इस जांच के लिए उपकरणों एवं जरूरी योग्यता हासिल करने में काफी पैसे खर्च होते हैं।
  3. कोविड टेस्ट अत्यंत जटिल जांच है। यह मॉलेक्युलर बॉयो टेक्नॉलजी टेस्ट है और इसकी बेसिक लागत लैब को काफी ज्यादा आती है।
  4. ऐसे व्यक्ति जिनके पास कोविड का टेस्ट कराने के लिए 4,500 रुपए नहीं हैं वे सरकारी लैब्स के पास जा  सकते हैं। ये लैब देश भर में हैं। सरकारी लैब्स के पास सुविधाएं एवं फंड दोनों हैं। निजी लैब्स पर इस तरह का बोझ नहीं डाला जा सकता।
  5. हमारे सामान्य-नॉन कोविड टेस्ट में भारी गिरावट आई है। लैब्स की आय भी काफी कम हो गई है। फिर भी हमें अपने कर्मचारियों का वेतन देना है और लैब के मासिक खर्च का वहन करना है।

इससे पहले सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को सलाह दी कि वह एक ऐसा तंत्र बनाए जिससे कोविड-19 की जांच कर रहे निजी लैब्स मरीजों से शुल्क मत वसूलें और कोविड की टेस्ट में निजी लैब्स को आने वाली लागत का भुगतान बाद में सरकार करे।

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